बढ़ती महँगाई के मुद्दे पर मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने सरकार को संसद के भीतर और बाहर घेरने का फैसला किया है और पार्टी ने 21 अप्रैल को संसद भवन के ‘घेराव’ करने का ऐलान किया है।
भाजपा ने आरोप लगाया कि केन्द्रीय मंत्रियों ने वायदा कारोबार के जरिए भारी धन कमाया है। पार्टी ने माँग की कि मौजूदा महँगाई के लिए जिम्मेदार सरकार की भूमिका की जाँच संयुक्त संसदीय समिति से कराई जानी चाहिए।
पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय परिषद की बैठक में महँगाई के मुद्दे पर सरकार पर जमकर प्रहार किया। आज संपन्न बैठक में लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने संकेत दिया कि महँगाई के मुद्दे पर विपक्ष संसद के बजट सत्र के दौरान सरकार को घेरेगा।
प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह की आलोचना करते हुए सुषमा ने कहा कि मैं इस मुद्दे पर आँकड़ों और साक्ष्यों के साथ संसद सत्र में सरकार से टक्कर लेने जा रही हूँ। उन्होंने व्यंग्य किया कि महँगाई की एक वजह यह भी है कि ‘प्रधानमंत्री अर्थशास्त्री हैं’। सुषमा ने कहा कि मुद्रास्फीति आर्थिक वृद्धि का संकेतक है और प्रधानमंत्री दुनिया भर में की आर्थिक वृद्धि दर को लेकर सराहना चाहते हैं।
उन्होंने बताया कि जब भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के नेतृत्व में जब भाजपा का प्रतिनिधिमंडल महँगाई के मुद्दे पर मनमोहनसिंह से मिला तो उन्होंने तर्क दिया कि यदि दालों, चीनी और सब्जियों की कीमत को शामिल न किया जाए तो हालात शायद इतने खराब नहीं हैं।
भाजपा ने आरोप लगाया कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल के सदस्यों ने कमोडिटी बाजार में वायदा कारोबार के जरिये धन कमाया। पार्टी ने संयुक्त संसदीय समिति से इसकी जाँच कराए जाने की माँग की। आर्थिक प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने यूरिया की कीमत में दस प्रतिशत बढ़ोतरी के लिए केन्द्र सरकार को आड़े हाथ लिया।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि केन्द्रीय कृषिमंत्री शरद पवार ही नहीं बल्कि महँगाई के लिए प्रधानमंत्री भी जिम्मेदार हैं। वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने इस बात पर अफसोस व्यक्त किया कि महँगाई के कारण गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या 4.4 करोड़ तक बढ़ गई, जबकि अत्यंत धनी लोगों की संपत्तियाँ बेतहाशा बढ़ रही हैं। इससे गरीबों और अमीरों के बीच खाई बढ़ रही है।
आर्थिक प्रस्ताव पेश करने वाले पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने संभावना जताई कि जिस तरह से मुद्रास्फीति बढ़ रही है, सकल वस्तुओं वाले थोक बिक्री मूल्य आधारित सूचकांक मार्च के अंत तक दोहरे अंक में पहुँच जाएगी। जनवरी में यह 8.56 प्रतिशत थी।
उन्होंने कहा कि महँगाई इसलिए है क्योंकि यह सरकार कुछ नहीं कर रही है। उसमें राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है और भ्रष्टाचार बेतहाशा बढ़ गया है। सिन्हा ने आरोप लगाया कि राजकोषीय दिक्कतों के बावजूद सरकार की ओर से खर्च किए गए सात लाख करोड़ रुपए की बदौलत कांग्रेस ने 206 सीटें हासिल कीं।
पार्टी ने महँगाई के मुद्दे पर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को पाँच करोड़ हस्ताक्षर वाली याचिका सौंपने की योजना बनाई है। साथ ही भाजपा एक माँगपत्र भी राष्ट्रपति को सौंपेगी। (भाषा)