पेड्रो अल्माडोवार इंटरनेशनल फिल्म के इलाके में इतना बड़ा नाम है कि उनकी फिल्म भले ही आधे घंटे की हो, लोग पूरी शाम उसके लिए खाली रखने के लिए तैयार हैं। हर फिल्मकार यह कहता है कि उसे इस बात से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता कि उसकी फिल्म ने कितनी कमाई की, उन्हें तो बस अपनी फिल्म लोगों को दिखाना है, अपनी बात उन तक पहुंचानी है।
वो पुराने दौर की काउ बॉय वाली फिल्में जहां लोग घोड़ों पर सवारी करते हुए एक कोने से दूसरे कोने का सफर करते थे। लेकिन यहां कहानी जेक और सिल्वा की है जो पिछले पच्चीस सालों से अलग हैं क्योंकि उनका प्यार समाज में अपनाया नहीं जाएगा। ऊंट के मुंह में जीरा वाली कहावत यहां सटीक है क्योंकि ऐसा लगता है फिल्म शुरू होते ही खत्म हो गई।