बॉलीवुड के फेमस संगीतकार-सिंगर बप्पी लहरी का 69 साल की उम्र में निधन हो गया है। बप्पी लाहरी का नाम एक ऐसे संगीतकार के रूप में याद किया जायेगा, जिन्होंने ताल वाद्ययंत्रों के प्रयोग के साथ फिल्मी संगीत में पश्चिमी संगीत का समिश्रण करके बाकायदा 'डिस्को थेक' की एक नई शैली ही विकसित कर दी।
यूनाइटेड किंगडम स्थित वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने भारतीय सिनेमा में योगदान के लिए बप्पी दा को सम्मानित किया था। एक साल में 33 फिल्मों में काम करने पर उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया था। बप्पी लहरी पहले संगीतकार हैं जिन्हें 'चाइना अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान 'जिम्मी जिम्मी' गाने के लिए दिया गया था।
27 नवंबर 1952 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में जन्में बप्पी लाहरी रूझान बचपन से ही संगीत की ओर था। उनके पिता अपरेश लाहिरी बंगाली गायक थे, जबकि मां वनसरी लाहिरी संगीतकार और गायिका थीं। माता-पिता ने संगीत के प्रति बढ़ते रूझान को देख लिया और इस राह पर चलने के लिये प्रेरित किया।
बप्पी लाहरी की किस्मत का सितारा साल 1975 में रिलीज फिल्म जख्मी से चमका। सुनील दत्त आशा पारेख, रीना रॉय और राकेश रौशन की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में 'आओ तुम्हे चांद पे ले जाये' और 'जलता है जिया मेरा भीगी भीगी रातो' में जैसे गीत लोकप्रिय हुए लेकिन जख्मी दिलों का बदला चुकाने आज भी होली गीतों में विशिष्ट स्थान रखता है।
बप्पी लाहरी ने कई फिल्मों में अपने पार्श्वगायन से श्रोताओं को अपना दीवाना बनाया है। उनके गाए गीतों की लंबी फेहरिस्त में कुछ है, बंबई से आया मेरा दोस्त, देखा है मैने तुझे फिर से पलट के, तू मुझे जान से भी प्यारा है, याद आ रहा है तेरा प्यार, सुपर डांसर आये है आये है, जीना भी क्या है जीना, यार बिना चैन कहां रे, तम्मा तम्मा लोगे, प्यार कभी कम मत करना, दिल में हो तुम ख्वाबो में तुम, उलाला उलाला आदि।