2012 में स्टूडेंट ऑफ द ईयर से वरुण धवन, आलिया भट्ट और सिद्धार्थ मल्होत्रा ने अपना सफर शुरू किया था। तीनों नए कलाकारों में वरुण की गाड़ी सबसे सरपट भागी। अगले 5 साल तक इस बंदे ने सारी हिट फिल्में दीं। मैं तेरा हीरो, हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया, बदलापुर, एबीसीडी 2, बद्रीनाथ की दुल्हनियां, ढिशूम सफलता के झंडे गाड़ती रही।
इन फिल्मों को करने के प्रति वरुण की सोची-समझी रणनीति थी। उन्होंने केवल उन फिल्मों को प्राथमिकता दी जो कमर्शियल फिल्में थीं। जिनकी पहुंच ज्यादा लोगों तक थी। जिन्हें ज्यादातर लोग देखना पसंद करते हैं। ऐसी फिल्मों का लालच नहीं किया जो उनके अंदर के अभिनेता को सुख दे। संभवत: पहले वे ऊंचाई पर पहुंचना चाहते थे और उसके बाद इस तरह की फिल्में करना चाहते थे जो तारीफ दे। कलाकार बनने के पहले स्टार बनने की उनकी चाहत थी।
2017 में रिलीज जुड़वा 2 की कामयाबी के बाद अचानक वरुण ने गियर बदल दिया। उन्होंने ऐसी फिल्में करना शुरू कर दी जो उनके फैंस की पसंद के अनुरूप नहीं थीं। अक्टूबर (2018) में वरुण के अभिनय की खूब प्रशंसा की गई, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर यह उनकी सबसे कम कलेक्शन करने वाली फिल्म बनी। इसके बाद सुई धागा (2018) औसत रही। वरुण का अलग करने का प्रयास प्रशंसकों को रास नहीं आया।
वरुण समझ गए कि गड़बड़ी हो रही है। वे फिर कमर्शियल फिल्मों की ओर मुड़े, लेकिन गलत फिल्म चुन बैठे। मल्टीस्टारर कलंक (2019) बुरी तरह फ्लॉप रही। इसमें वरुण मिसफिट नजर आएं और दर्शकों ने फिल्म को कई बड़े कलाकार होने के बावजूद नकार दिया।
स्ट्रीट डांसर 3डी (2020) वरुण ने यह सोच कर ली कि डांस आधारित एक फिल्म वे रेमो के साथ कर चुके हैं, लेकिन इस फिल्म में कुछ भी नया नहीं था। अब दर्शक डिमांडिंग हो गए हैं। कमर्शियल फॉर्मेट में बनी फिल्मों में भी उन्हें कुछ नया और बेहतर चाहिए, कलंक और स्ट्रीट डांसर जैसी थकी फिल्मों को वे तुरंत रिजेक्ट कर देते हैं।