दर्शकों की अपेक्षाओं पर खरी उतरुँगी : आयशा कपूर

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अपनी पहली फिल्म 'ब्लैक' से दर्शकों के बीच गहरा असर छोड़ने वाली नन्ही कलाकार आयशा कपूर के परिचय की जरुरत नहीं है। अब तक लोगों को उनका अभिनय याद है। ‘ब्लैक’ से उन्होंने यह साबित कर दिया था कि अभिनय किसी उम्र का मोहताज नहीं होता है। अब वे बिग पिक्चर्स के बैनर तले सुधीर मिश्रा के प्रोडक्शन हाउस सिनेरास लि. द्वारा निर्मित एवं पीयूष झा द्वारा निर्देशित सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म 'सिकंदर' के जरिए एक बार फिर दर्शकों को अपना दीवाना बनाने वाली हैं। आखिर क्या खासियत है उनकी इस फिल्म में, आइए जानते हैं उनसे :

सबसे पहले आप अपनी आगामी फिल्म 'सिकंदर' के बार में बताइए।
बिग पिक्चर्स की फिल्म कश्मीर के लोगों की चिंता, विरोध व मनमुटाव को भलीभाँति दर्शाती हुई एक उम्दा फिल्म है। इसमें हिंसा को दिखाया जरूर गया है, लेकिन यह फिल्म हिंसा पर केंद्रित नहीं है और न ही इसका दंगों से कोई लेना-देना है। इसका उद्‍देश्य शांति है।

इस फिल्म में आपका किरदार कैसा है?
इस फिल्म में मैंने एक 14 वर्षीय लड़की नसरीन का किरदार निभाया है, जो सिकंदर राजा (परज़ान दस्तूर) की खास दोस्त है। सिकंदर कश्मीर के एक गाँव में अपने चाचा-चाची के साथ रहता है, जिसकी सारी खुशियाँ उसके मृत माँ-बाप के अलावा फुटबॉल मैदान में गोल करने में ही समाती है। एक दिन स्कूल से घर लौटते समय उसकी नजर सड़क पर पड़ी एक बंदूक पर जाती है, जिसे वह अपने पास रख लेता है। नसरीन के लाख मना करने के बावजूद भी वह बंदूक को नहीं फेंकता और फिर क्या था, यही से शुरू होते हैं सिकंदर की जिंदगी के अँधेरे। जहाँ एक ओर सिकंदर नसरीन की बातें नहीं मानता है, वही दूसरी ओर उस बंदूक के कारण हालात भी उसके काबू में नहीं रहते हैं और कई लोगों की जानें तक चली जाती हैं।

'सिकंदर' को साइन करने की कोई खास वजह?
बहुत खास है। मुझे पीयूष अंकल ने इस फिल्म की स्क्रिप्ट सुनाई थी, तभी मुझे इसकी कहानी ‍बाकी फिल्मों से भिन्न लगी। इसकी अलग कहानी, उम्दा स्क्रिप्ट व संजीदा विषय ने मुझे यह फिल्म करने पर मजबूर किया। सिर्फ इतना ही नहीं, इस फिल्म में मुझे अपना रोल भी काफी दमदार लगा, जिससे मैंने इसमें काम करने को हामी भर दी।

आपकी पहली फिल्म 'ब्लैक' में दर्शकों ने आपके अभिनय को बेहद पसंद किया था। ऐसे में इस फिल्म में काम करना आपके लिए कितना चुनौतीपूर्ण था?
बिल्कुल सही कहा आपने। मेरे लिए इस फिल्म में काम करना बेहद चुनौतीपूर्ण था। जहाँ एक ओर 'ब्लैक' के बाद से ही दर्शकों की उम्मीदें मेरे प्रति बढ़ चुकी हैं, वहीं दूसरी ओर मैं कोई ऐसा रोल करके उन्हें निराश नहीं करना चाहती हूँ। इसलिए मैंने काफी सोच-समझकर यह फिल्म साइन की जिससे दर्शकों की चहेती बनी रहूँ।

अपने किरदार के लिए आपने खास तैयारियाँ भी की?
हाँ, मुझे हिन्दी नहीं आती है। मैंने इस फिल्म के लिए हिन्दी भाषा सीखी, ताकि अपने संवाद अच्छे तरीके से व स्पष्ट बोल सकूँ। साथ ही कश्मीरी लड़की का किरदार निभाने के लिए भी मुझे उनके जैसे हाव-भाव, बोलचाल आदि सीखना पड़े।

परज़ान दस्तूर के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
परज़ान ईमानदार होने के साथ ही काफी सहयोगी कलाकार भी है। मुझे उसके साथ काम करके बहुत मजा आया। अब हम अच्छे दोस्त भी बन गए हैं। सेट पर भी हमने खूब मस्ती की।

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इस फिल्म का दर्शकों पर कितना प्रभाव पड़ेगा?
मुझे पूरा विश्वास है कि यह फिल्म दर्शकों को जरूर पसंद आएगी। इसके पीछे अनेक कारण हैं। एक ओर जहाँ इसकी उम्दा कहानी इसे कामयाबी का स्वाद चखाएगी, तो दूसरी ओर इसमें पहली बार आतंकवाद की घटना का इतने बेहतरीन तरीके से पेश किया गया है। यह एक संवेदनात्मक विषय पर बनाई गई फिल्म है, जिससे दर्शकों को रूबरू होने का एक बेहतरीन अवसर मिलेगा। वैसे भी मुझे उम्मीद है कि इस फिल्म के द्वारा मैं दर्शकों को अपने उम्दा अभिनय से एक बार फिर कायल कर दूँगी।