'जब भी किसी लड़के को यूनिफॉर्म पहना दो तो उसका तौर-तरीका ही बदल जाता है। उसकी छाती चौड़ी, पीठ सीधी और चाल रुबाबदार हो जाती है। हम चाहे उस शख्स को जानते भी नहीं हों तब भी आर्मी वाले का अपना एक अंदाज होता ही है। तो जब मैंने पहली बार अपने लुक टेस्ट के लिए भी यूनिफॉर्म पहनी थी तो मुझे एकदम साफ और आयरन की हुई कई बैजेस लगी हुईं यूनिफॉर्म पहनाई गई। अपने आप पर बहुत फख्र महसूस हो रहा था जब वर्दी पहनी तो।' ये कहना है सिद्धार्थ मल्होत्रा का, जो अपनी फिल्म 'अय्यारी' के साथ लोगों के सामने आ रहे हैं।
हां कह सकते हैं। मुझे वर्दी पहनने की हमेशा से इच्छा थी, जो इस फिल्म के जरिए पूरी हो गई। सिद्धार्थ आगे बताते हैं कि मेरे दादू भी आर्मी में थे। मैंने उन्हें कभी देखा नहीं। मेरे पापा और मेरी दादी ने उनकी कई कहानियां मुझे बताई हैं। वे 1962 के भारत-चीन युद्ध में गए थे और घायल हुए थे। वे बताती रही हैं कि कैसे घायल सैनिक के घरवालों को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। अगर कभी किसी के चेस्ट के पास से एक गोली भी छूकर चली जाए तो उसे जिंदगीभर इस चोट के साथ रहना होता है। वो ये सब कर रहा होता है हमारे जैसे लोगों के लिए। आप सोच भी नहीं सकते कि कैसे आर्मी या बीएसएफ वाले लोग अपनी जिंदगी जीते हैं। वे क्या और कैसे अपने आपको हमारे लिए न्योछावर कर देते हैं।
आपने फिल्म के दौरान क्या देखा व सीखा?
'अय्यारी' से मैंने ये ही सीखा कि ये लोग कितने बहादुर होते हैं। हमने रीयल लोकेशन पर भी फिल्म शूट की है। हम कश्मीर के पास पहलगाम के एक कैंप में थे, तो वहां बीएसएफ और बॉर्डर से आर्मी जवान आते थे। हमने देखा कि कैसे ये लोग रहते हैं, क्या खाते-पीते हैं। हम तो देखते ही रह गए कि कैसे हंस-हंसकर वे काम कर रहे हैं। इतने विपरीत मौसम में वे सिर्फ अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं।
आपने कभी आर्मी में जाने का नहीं सोची?
हां, मैं कभी आर्मी में नहीं जा सका लेकिन 'अय्यारी' की वजह से मैंने वो जीवन भी जी लिया। मैंने वहीं खाना भी खाया और उनकी ट्रेनिंग भी मैंने ली। वो जो हथियारों के साथ ट्रेनिंग होती है, वो भी मैंने कर ली। मैंने वो जगह भी देखी जहां वे रहते हैं। उन लोगों के पास एक फाइबर की बनी इग्लू जैसी एक बैरक होती है, जो पोर्टेबल होती है और एक रूम और बाथरूम होता है। मुझे देखकर बहुत अच्छा लगा। लेकिन फिर मालूम पड़ा कि अगर आग लग जाए तो सिर्फ 60 सेकंड होंगे अपने आपको बचाने के लिए। ये सब मेरे लिए बहुत नया था।