'मुझे लगता है कि लोगों ने पिछले कुछ दिनों से इतनी बार 'पैड' बोल दिया है कि मेरी फिल्म तो हिट हो गई है। ये ही तो मेरी फिल्म की सक्सेस है। अगर कोई शख्स मेडिकल शॉप में जाकर बेधड़क रूप से पैड मांग लेता है तो मैंने अपना काम कर दिया है। वैसे भी लोग फिल्म देखने इसलिए शायद न भी जाते हों कि फिल्म का विषय रोचक है या नहीं? वे कास्ट देखते हैं और जाते हैं। फिल्म में मजा आया, ये देखते हैं।'
ये कहना है पा, चीनी कम और शमिताभ जैसी फिल्में निर्देशित करने वाले आर. बाल्कि का, जो 'पैडमैन' फिल्म के निर्देशक हैं और इन दिनों अपनी फिल्म के प्रमोशन में लगे हुए हैं।
बाल्कि आगे बताते हैं कि 'आज भी देश की 82% महिलाएं पैड का इस्तेमाल नहीं करती हैं। उन्होंने हाल ही में एक डॉक्यूमेंट्री देखी थी जिसमें दिखाया गया था कि मुंबई के पास एक गांव है, जहां एक गली में जो सार्वजनिक नल होते हैं उसमें कपड़े धोए जाते हैं और उसका निकला जो गंदा पानी है उसमें महिलाएं अपने पीरियड्स में इस्तेमाल किए कपड़े धोती हैं तो वो कपड़ा साफ कैसे रहा होगा? वे ऐसा इसीलिए करती हैं ताकि पानी भी अपवित्र न हो जाए। महिलाएं इन्हीं कपड़ों को सीधे सूरज की रोशनी में सुखाने की बजाय उस पर एक और कपड़ा डालती हैं ताकि लोगों को पता न चले कि 'उनके कपड़े' सूख रहे हैं। पैड्स का इस्तेमाल करना हायजीन की बात है, सहूलियत तो बहुत दूर की बात है। ये बहुत ही आखें खोलने वाली और डरावनी जानकारी है।'
आर. बाल्कि ने 'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष को बताया कि आज भी देश में कितने ही मर्द ऐसे हैं जिन्हें ये तक नहीं मालूम कि सैनिटरी पैड क्या होता है? वो दिखता कैसा है? उन्हें ये भी नहीं मालूम कि किसी महिला को किन चीजों से गुजरना पड़ता है? तो मेरी इस फिल्म में एक मर्द की कहानी है, जो अपनी पत्नी की मदद करना चाहता था। मैं चाहता हूं कि लोग फिल्म देखें और कहें कि अगर एक मर्द को कोई परेशानी नहीं है तो महिला होने के नाते तुझे क्या परेशानी है इन सब बातों के बारे में बात करने में।
आपको कभी ऐसी बातों का सामना करना पड़ा हो? पूछने पर बाल्कि कहते हैं- मेरे बचपन में मुझे याद है कि मेरी मां कुछ दिन रसोईघर के बाहर बैठती थीं, तो मैंने कभी ध्यान नहीं दिया। आज लगता है कि मैंने कभी तो उससे पूछ लिया होता कि क्या हो गया? क्या कोई परेशानी है क्या? एक बार जब मैंने उसे कहा कि गौरी के लिए पैड लेने जा रहा हूं तो वे हंस पड़ीं। उस दिन मुझे लगा कि कितना मुश्किल होता होगा इस बारे में बात करना भी। जब ''पैडमैन'' का ट्रेलर भी आया था तो महिलाएं आपस में एक-दूसरे को देखकर बोलती थीं याद आया। अब क्या-क्या याद किया, ये तो वे ही जानें।
आपको फिल्म के ट्रेलर को लेकर कैसी रिएक्शन मिली, क्योंकि इस बारे में कोई बात ही नहीं करता? इस बारे में बाल्कि का कहना है- जब इसका प्रोमो आया था तो मैं फिल्म की शूट ही कर रहा था। वहां सिक्योरिटी वाले और बहुत सारे लोग और भी बैठकर प्रोमो देख रहे थे। ये लोग आपस में बात कर रहे थे कि मेरे बीवी के पास हरा वाला है और इसमें पिंक दिखा रहे हैं। किसी भी विषय को बातचीत में ले आना ही बड़ी बात है। ये फिल्म 'टॉयलेट' जैसी नहीं है, जो देश के 'स्वच्छ भारत अभियान' से जुड़ी हो। इस बारे में कोई कुछ बोलता ही नहीं। कोई बात ही नहीं करता। लेकिन जब ये विषय फिल्म का विषय बन जाए तो लोग बातें करते हैं। फिर ऐसे में कोई बड़ा चेहरा फिल्म में हो तो लोग और भी ज्यादा बात करते हैं। लोग खुलकर इस सब्जेक्ट पर बोलने लगते हैं। फिल्में हमारे देश में बहुत मजबूत माध्यम हैं लोगों को जागरूक करने के लिए।
'पैडमैन' मुरुगनाथम अरुणाचलम के साथ अपनी पहला मुलाकात को याद करते हुए बाल्कि कहते हैं- 'मैं पहली बार रीयल लाइफ 'पैडमैन' से मिला, जब मैं उनके गांव में गया था। हम ये फिल्म बनाना चाहते थे तो मैं और ट्विंकल और एक और शख्स हमारे साथ थे तो हम तीनों गए थे। हम उनके घर पहुंचे, उन्होंने खाना खिलाया और अपनी पत्नी और अपनी बेटी से भी मिलाया। फिर मीटिंग के बाद हम लोग एयरपोर्ट की ओर रवाना हो गए।'
'मुरुगनाथम भी हमारे साथ ही एयरपोर्ट की ओर हो लिए। मुरुगनाथम को एक इंजीनियरिंग कॉलेज में लेक्चर देने के लिए बुलाया गया था। वे जो कपड़े पहने थे वे बड़े ही साधारण से थे और उन पर वर्कशॉप में काम करने से लगे हुए ग्रीस और ऑइल के निशान भी वैसे ही थे।
जब मैंने उन्हें देखा तो वे बोले, मैं तो जैसा हूं वैसा ही जाऊंगा ना तभी तो लेक्चर के लिए बुलाया है, वर्ना क्यों बुलाते मुझे? अगर मैंने काम किया है या मजदूरी की है तो की है ना, क्यों बताऊं कि नहीं की।' मुझे लगा कि ये शख्स कितनी सही बात कर रहा है। वैसे भी मुरुगनाथम के जीवन पर बनी ये पहली फिल्म है, जो उनकी इजाजत से बनाई जा रही है।
आपने फिल्म मुरुगनाथम को दिखाई? मजाकिया अंदाज में बाल्कि बोले, 'मैं उन्हें उनकी जिंदगी क्या दिखाऊं। बिलकुल मैं फिल्म दिखाने वाला हूं, जो अभी तक नहीं दिखाई है। मैंने उन्हें कह दिया है कि फिल्म में हर वो चीज जो उन्होंने की है, वैसी ही नहीं दर्शाई है लेकिन साथ ही ये भी मैंने उनको कहा कि फिल्म देखकर आप ये जरूर कहेंगे कि काश! मैंने ऐसा ही असल जिंदगी में किया होता।'
आपको किस उम्र में मालूम हुआ कि मेंस्ट्रुइल साइकल जैसा भी कुछ होता है? उस समय शायद मैं 10वीं के आखिरी में था, तब मुझे मालूम पड़ा इस बारे में। तब सोचा ही नहीं कि कुछ अगर ऐसा होता है लड़कियों को तो होता होगा। वो तो जब मैंने एड एजेंसी में काम करना शुरू किया तो मालूम पड़ा कि कितनी तकलीफ होती होगी एक लड़की को।
आपने कई बड़े एक्टर्स के साथ काम कर लिया, आज की जनरेशन का कोई एक्टर है जिसके साथ आप काम करना चाहते हैं?
मेरे लिहाज से सभी बेहतरीन हैं। लेकिन एक एक्टर रणबीर कपूर है, जो आज के समय में दुनिया के गिने-चुने बेहतरीन एक्टर्स में आता है। उसका काम देखिए। सिर्फ 'बर्फी' नहीं बल्कि 'जग्गा जासूस' ही देख लीजिए, क्या कमाल के सीन देता है वो।
अगर कभी वो आकर आपको कहे कि आपके साथ काम करना है तो? वे क्यों कहें, मैं कह देता हू ना।