किस बात ने आपको 'डॉली की डोली' का निर्माण करने के लिए प्रेरित किया?
मुझे इसका सब्जेक्ट और पात्र काफी रोचक लगे। इसके पात्र ऐसे हैं जिनसे लोग रिलेट कर सकते हैं। स्क्रीन प्ले काफी बेहतरीन है। संवाद अच्छे हैं। यह कहानी एक कॉन वूमैन की है और इसे जिस तरह से पटकथा में पिरोया गया है, उसने मुझे प्रभावित किया। मुझे लगा कि यदि हमने इसे सही कलाकारों के साथ बनाकर सही ढंग से रिलीज किया तो लोगों को यह फिल्म पसंद आएगी।
किस तरह की कहानी है 'डॉली की डोली' की?
फिल्म के केंद्रीय पात्र का नाम डॉली है। यह गंभीर विषय पर एक फन फिल्म है। 'डॉली की डोली' ऐसी मजेदार जर्नी है, जो कि हर किसी के चेहरे पर मुस्कान लाएगी। डॉली की भूमिका में सोनम कपूर हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करने वाली हैं। वह किस तरह पुरुषों को अपने जाल में फांसकर उनसे शादी कर उन्हें ठगती है, यह न सिर्फ रोचक होगा बल्कि फिल्म में कई मोड़ लेकर आएगा। अंततः डॉली किससे शादी कर अपनी जिंदगी गुजारेगी, यह जानने के लिए दर्शक अपनी सीट पर बैठा रहेगा।
फिल्म के हाईलाइट्स क्या हैं?
कलाकारों की परफॉर्मेंस और फिल्म के जो सीन हैं, वे सबसे बड़ी हाईलाइट्स हैं।
फिल्म 'डॉली की डोली' के कलाकारों का चयन किस हिसाब से किया?
स्क्रिप्ट और किरदारों के आधार पर। लीड रोल में हमने सोनम कपूर को लिया है। इसके अलावा फिल्म में तीन महत्वपूर्ण पुरुष किरदार हैं। एक किरदार में राजकुमार राव हैं जबकि दिल्ली के पंजाबी लड़के मनजोत सिंह के किरदार में वरुण को चुना गया। इस किरदार में ह्यूमर की जरूरत थी। वरुण में वह ह्यूमर है। एक सीरियस यंग पुलिस ऑफिसर का किरदार है, उसके लिए मैंने पुलकित सम्राट को चुना।
कहा जा रहा है कि पहले आपने इस फिल्म में मुख्य पात्र निभाने के लिए कैटरीना कैफ से बात की थी?
मैं आपकी बात को पूरी तरह से नकार नहीं सकता, क्योंकि मीडिया में इस तरह की चर्चाएं हुई थीं। लेकिन जब स्क्रिप्ट सामने होती है तो एक ही पात्र के लिए हम लोग कई नामों पर विचार करते हैं। हम विचार करते हैं कि सब्जेक्ट, फिल्म के बजट सहित हर बात के आधार कौन-सा कलाकार फिट बैठेगा। तो हर तरह से विचार करने के बाद हमने सोचा कि हमें सोनम कपूर से बात करनी चाहिए। हमने सोनम कपूर से बात की। उन्हें स्क्रिप्ट पसंद आ गई और बात बन गई।
'डॉली की डोली' के निर्देशन के लिए नए निर्देशक अभिषेक डोगरा को चुनने के पीछे क्या सोच रही?
पहली वजह यही है कि अभिषेक डोगरा का ही यह सब्जेक्ट है। उन्होंने ही इसकी स्क्रिप्ट लिखी है। दूसरी बात मैं हमेशा नई प्रतिभाओं को काम करने का मौका देता हूं। अभिनव कश्यप को भी मैंने फिल्म 'दबंग' में निर्देशक के तौर पर ब्रेक दिया था। मैं कहानी सुनता हूं और मुझे लगता है कि यह निर्देशक कहानी के साथ न्याय कर सकता है तो मैं उसे निर्देशन की जिम्मेदारी सौंप देता हूं। जब मुझे लगता है कि इस इंसान को चरित्रों को लेकर एक समझ है और यह फिल्म बना सकता है तो काम शुरू हो जाता है। इतना ही नहीं, निर्देशक के बाद कई दूसरे बेहतरीन लोगों को चुनकर भी फिल्म को बेहतर बनाया जाता है। एक निर्माता के तौर पर मैं निर्देशक के बाद कलाकार, संगीतकार सहित सारे बेहतर लोगों को जोड़ने की कोशिश करता हूं। जब अच्छे कलाकार हों और अच्छे तकनीशियन हों, तो नए निर्देशक का आत्मबल बढ़ जाता है।
आजकल लोग ट्विटर और फेसबुक को फिल्म के प्रमोशन के लिए उपयोग करने लगे हैं। क्या इसका असर बॉक्स ऑफिस पर पड़ता है?
जी हां! इसका असर बॉक्स ऑफिस पर पड़ता है। फिल्मों से जुड़े कलाकारों के साथ ही निर्माता- निर्देशकों व तकनीशियन के अपने ट्विटर या फेसबुक पर फॉलोअर्स हैं। ट्विटर या फेसबुक से लोग अपने प्रशंसकों से सीधे जुड़ते हैं। आपके फॉलोअर्स आपको इसलिए फॉलो करते हैं कि आप उन्हें कुछ नई जानकारी देते रहें। इसमें अपनी जिंदगी, अपनी फिल्म, अपने प्रोफेशनल करियर के बारे में जानकारी देते रहना चाहिए। जब कोई कलाकार या फिल्मकार ट्विटर या फेसबुक पर अपनी फिल्म को प्रमोट करता है तो इससे फिल्म के प्रति अवेयरनेस बढ़ती है। इसका बहुत बड़ा असर पड़ता है। जितनी ज्यादा अवेयरनेस होगी, उतना बॉक्स ऑफिस पर असर पड़ेगा।