श्रीदेवी के बहुत बड़े फैन हैं जुनैद खान, लवयापा को-एक्ट्रेस खुशी कपूर को लेकर कही यह बात

रूना आशीष

गुरुवार, 30 जनवरी 2025 (14:42 IST)
कभी-कभी पापा अपने आप पर थोड़ा ज्यादा ही दबाव डाल देते हैं। इतनी अपने आप की आलोचना करने की जरूरत नहीं है। पापा ने कुछ इंटरव्यूज में बिल्कुल कहा था कि हमारे बचपन के समय में वह काम में इतना ज्यादा मशरूफ रहते थे कि हमें समय नहीं दे पाते थे। पर ऐसा बिल्कुल नहीं लगा। मुझे तो कम से कम बिल्कुल भी ऐसा महसूस नहीं हुआ। 
 
मुझे मेरे परिवार की तरफ से बहुत ज्यादा साथ मिला है। चाहे वह मम्मी हो या नाना-नानी हों। फिर दादा-दादी हो या फिर चाचा हो। सभी लोगों ने मुझे बहुत ज्यादा आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है। पापा जब यह कहते हैं कि वह हमारे बचपन और लड़कपन की उम्र में हमारे साथ में नहीं है तो मुझे बिल्कुल ऐसा महसूस नहीं होता। पापा लगता थोड़ी ज्यादा इमोशनल हो जाते हैं इन दिनों जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
 
यह कहना है जुनैद का, जो कि 'लवयापा' नाम की फिल्म से लोगों के सामने एक लवर बॉय की इमेज के साथ आ रहे हैं। देखा जाए तो पापा यानी आमिर खान की मन इल्जाम उनके हाव-भाव बोलने के तरीके की कॉपी ही लगे हैं मुझे। हालांकि जुनैद इस समय के हीरो है और इस समय के कलाकार हैं इसलिए शायद थोड़ी ज्यादा खुलकर बातचीत कर लेते हैं। जबकि आमिर अपनी हर बात बहुत सोच समझकर लोगों के सामने रखते हैं। लगभग इसी अंतर के साथ। 
 
हम पत्रकारों ने जुनैद को वेलकम किया है। लवयापा के इंटरव्यू के दौरान पहली बार ऐसा हुआ था जब वह हर पत्रकार से साथ में मिलकर बैठकर बात कर रहे थे। फिल्मों की बातें भी हुई और कभी पर्सनल लाइफ की बातें भी हुई। पिताजी के बारे में तो बात हुई ही साथ ही श्रीदेवी के बारे में भी बात हुई है। वह श्रीदेवी की छोटी बेटी खुशी कपूर के साथ लवयापा फिल्म में काम कर रहे हैं। 
 
हालांकि जुनैद का कहना तो यह कि वह श्रीदेवी के बहुत बड़े फैन हैं लेकिन खुशी बहुत मेहनती कलाकार है और उसमें इतना ज्यादा हिम्मत है कि वह आगे आने वाले दिनों में बहुत बेहतरीन कलाकार के रूप में निखर कर आएंगी और लोगों के सामने होंगी।
 
लवयापा में मोबाइल की अदला-बदली दिखाई गई है। लेकिन असल जिंदगी में सुनने में तो यह आया है कि आपको बहुत सालों तक मोबाइल देखने को भी नहीं मिलता था।
हां, बिल्कुल सही कह रही हैं कक्षा 10 जब मेरा खत्म हो गया और मैं कॉलेज पहुंच गया तब जाकर मुझे मोबाइल मिला और वह भी पहले दिन से नहीं मिला। बात इतनी थी कि मैं बांद्रा से चर्चगेट जाता था अपने कॉलेज के लिए और ये बहुत दूर था। मुझे तब भी महसूस नहीं होती कि मोबाइल ले लेना चाहिए। लेकिन यह वह समय था जब मैं अपने कॉलेज में पढ़ाई के अलावा भी बहुत सारे कार्यों में व्यस्त रहता था। 
 
इसे एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज कहा जाता है तो एक बार किसी ड्रामा रिहर्सल के लिए मुझे बहुत समय लगने वाला था। तब मैंने आस-पास कोई पीसीओ ढूंढा और वहां से अपनी मां को फोन लगाया और कहा कि देखो मां मुझे आज बहुत लेट होने वाला है। हो सकता है, ट्रेनें भी बंद हो जाए तो मैं टैक्सी पकड़ के घर पहुंच जाऊंगा। आप चिंता ना करें और यह कहकर मैंने बात बंद कर दी। और फिर देखता हूं तो अगले एक-दो दिन के अंदर ही मेरे हाथ में मोबाइल थमा दिया गया तो मेरा और मोबाइल का सफर साथ में कुछ ऐसे शुरू हुआ और बहुत देर से तभी स्क्रीन टाइम की पाबंदी हुआ करती थी मुझ पर। 
 
लवयापा में आप कॉमेडी कर रहे हैं कैसे तैयार किया अपने आप को 
होमवर्क करने के लिए मैंने अपने नाना-नानी का साथ लिया मेरी मां और उनकी तरफ जितने भी लोग हैं, वह तो पंजाबी ही हैं तो उनसे थोड़ा सा सीख लिया। यह फिल्म जो है, दिल्ली में रहने वाले पंजाबी लड़के की कहानी है और दिल्ली और मुंबई के लोगों में जमीन आसमान का अंतर होता है तो मैं कभी उनसे अपने आप को रिलेट नहीं कर पाता हूं। 
 
लेकिन फिर भी एक्टिंग का यही तो मजा है कि आप जाने कितनी जिंदगी अच्छा जी सकते हैं। इसके अलावा फिल्म में अद्वैत ने भी मुझे मदद किया कि मैं कैसे उसका लहजा पकड़ना। निखिल जो मेरा फिल्म में दोस्त है, उसने भी मदद की ग्रुशा जी जो इसमें काम कर रहे हैं, उन्होंने मदद कर दी। आशा है कि मैं जितना भी काम कर पाया अपने होमवर्क के साथ वह लोगों के सामने आए और लोगों को पसंद आ जाए बस। 
 
कभी आपने सोचा है। आप अपना मोबाइल किसी से बदल दें। शायद अपने पिताजी से।
अरे हम दोनों के मोबाइल में कुछ नहीं होता है। पापा के मोबाइल में तो मुझे कुछ भी नहीं मिलेगा। मेरे मोबाइल में भी ऐसा कुछ अलग सी बात नहीं होगी। हां यह हो सकता है कि कई सारे टेक्स्ट मैसेजेस जो होंगे, वह जवाब देना उनका रहा होगा तो हम एक दूसरे के मोबाइल अगर ले ही लेंगे तो हम एक दूसरे के टेक्स्ट मैसेज इसका जवाब जरूर दे दिया करेंगे। इतना हो सकता है बाकी तो हम दोनों के मोबाइल में कुछ नहीं मिलेगा।
 
आपके बारे में कहा जाता है कि स्टार के होने के बावजूद भी आप जमीन से जुड़े रहना पसंद करते हैं। कई बार तो आपने बसों से भी सफर किया है।
मैं स्टार किड हूं या नहीं से ज्यादा यह सोचता हूं कि क्या वह चीज प्रैक्टिकल है या नहीं। अब देखिए मुझे और खुशी को एक इवेंट में पहुंचना था। हम दोनों साथ में निकले और बांद्रा से मैं निकला और उस जगह पर जब पहुंचे तो मैं 10 मिनट पहले पहुंच गया। मैं रिक्शा से पहुंच गया, जबकि वह कार से आ रही थी तो उसमें प्रैक्टिकल लगा कि क्यों ना रिक्शा कर ली जाए और उस जगह पर पहुंच जाया जाए। 
 
अब मुंबई में आप बाहर निकले सब जगह पर रोड बन रही है। कहीं कुछ खुदाई हो रही है कहीं कुछ कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है तो ऐसे में जहां 2 मिनट से आप रास्ता तय कर सकते हैं कार लेकर आप वहां पर जाएंगे। 10 मिनट लगा लेंगे तो वह तरह कि मैं अपने 8 मिनट बचा लूं और पैदल निकल जाऊं? मैं इस तरह की बातों में विश्वास रखता हूं।
 
आयरा और आजाद से आपका रिश्ता कैसा है? 
आयरा मेरी जिंदगी में सबसे बड़ी चियर लिडर में से एक है। वह हमेशा मेरा साथ देती है और मेरी हर बात पर अपनी सोच अपनी राय जरूर मुझसे बताती है। मैं आजाद कि मैं बात करूं तो आजाद बहुत ही अच्छा बच्चा है। मामाज बॉय है और बहुत अच्छी दोस्ती है मेरी लेकिन आज के समय में वह उस दौर से गुजर रहे जहां पर उसको हम घरवाले नहीं बल्कि अपने दोस्त चाहिए होते हैं तो मुझे कई बार ऐसा लगता है कि शायद मैं आजाद के लिए पुरानी पीढ़ी वाला हो गया हूं।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी