बहुत समय से कोई हल्की-फुल्की फिल्म मैंने नहीं की थी। जब आप ऐसी हल्की फुल्की या कॉमेडी फिल्म करते हैं तो अपने दर्शकों की संख्या चार गुना बढ़ा लेते हैं। 6 साल के बच्चे से लेकर 60 साल के बूढ़े तक सभी फिल्म देखने आते हैं। जब आप वयस्क कैटेगरी वाली फिल्म करते हैं तो आप अपने दर्शक चार गुना घटा लेते हैं, हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं कि कबीर सिंह को भी अच्छी खासी भीड़ मिली है।
पागलपंती करते हुए मजा आया
किसी भी कॉमिक रोल को बेहतरी से निभाने के लिए बहुत ज़रूरी होता है कि आपको उस रोल औऱ कहानी पर विश्वास हो। मुझे 'पागलपंती' में मेरा रोल पसंद आया औऱ मैंने पूरे विश्वास के साथ वो रोल किया। 'पागलपंती' फिल्म में मेरे किरदार पर साढ़े साती चल रही होती है, मैं असल ज़िंदगी में तो इस बात पर यकीन नहीं रखता, लेकिन मैंने इसे मजे लते हुए किया। जब मैंने 'हाउसफुल 2' की थी तब मुझे अपने रोल पर बहुत यकीन नहीं था। बस, कर ली और ये सोचता रहता था कि मैंने अच्छा काम नहीं किया, लेकिन जब वो फिल्म आज देखता हूं तो हंसी आती है।
बॉडी भी दिखाई कॉमेडी भी की
पागलपंती के निर्देशक अनीस बज्मी का कहना था कि फैंस चाहेंगे कि मैं फिल्म में एक बार तो बॉडी दिखाऊं तो मैंने उनका कहा माना और वही किया जो मेरे दर्शक मुझसे चाहते हैं। इसे थोड़ी कॉमेडी के साथ दिखाया है जो बहुत अच्छा भी लग रहा है।