'मुझे अनुराग ने कहा कि ये तुम ही हो, तुम्हारे जैसी ही ये हीरोइन है, जो बहुत मुंहफट है। बस, फिल्म में नाम 'तापसी' की जगह 'रोमी' कर दिया है। अनुराग तो लेखिका कनिका के लिए कहते थे कि ये उसकी जीवनी है। उन्होंने कनिका की दोस्तों तो फोन लगाकर भी पूछा था कि उसकी लाइफ का विक्की कौन है?
मैंने तो अनुराग को कितनी बार कहा कि मैं रूमी जैसा इतना थोड़ा ही बोलती हूं बिना सोचे-समझे।' 'मनमर्जियां' में 'रूमी' का किरदार निभाने वाली तापसी अपने इस रोल से बहुत ही ज्यादा खुश हैं। उनकी मानें तो ये रोल उनके लिए किसी ब्रेक से कम नहीं है।
'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष से बात करते हुए तापसी पन्नू बताती हैं कि मैंने अभी तक जितने भी रोल निभाए हैं, वो बहुत ही सुलझी लड़की के निभाए हैं। वो हर बात को सोच-समझकर करने वालों में से है या ये वो लड़की है, जो सीधे बात करती है। लेकिन इस फिल्म की रूमी है जिसमें दिमाग ही नहीं है।
जब इसका ट्रेलर भी लॉन्च हुआ था, तो तबसे मुझे कई लोगों के फोन और रिएक्शंस आए कि ये मैंने क्या धमाका कर डाला? मजे की बात ये कि लोगों को मेरा ये रूप भी पसंद आ रहा है। और एक बात ये भी हुई कि लोगों को लगा कि ये वो अनुराग कश्यप की सीरियस वाली फिल्म नहीं है बल्कि ये तो फनी फिल्म लग रही है। मेरी लाइंस पर हंस रहे हैं लोग। मुझे तो इसी बात पर बड़ा मजा आ रहा है।
फिल्म के गाने भी बहुत अच्छे हैं?
मुझे जब नरेशन सुना जा रहा था तो कनिका मुझे बता रही थीं कि मेरा रोल ऐसे शुरू होगा फिर एक गाना आएगा। फिर रोल में आगे ऐसा मोड़ आएगा और ये वाला गाना बजेगा यानी नरेशन खत्म होने तक मैंने 5 या 6 गाने सुन लिए थे। ये शायद पहली बार होगा, जब मैंने नरेशन में इतने गाने सुन लिए हों। फिर सेट पर पहुंची तो अनुराग शुरू हो गया कि इस सीन के बाद ये गाना पीछे चल रहा होगा या अगले सीन के बाद तुम्हें ये गाना मिलेगा। मैं तो हैरान रह गई और पूछा कि इतने गाने कैसे हो सकते हैं? तो अनुराग बोला कि देव डी की तरह इसे म्यूजिकल बनाना है। फिर भी फिल्म में 15 गाने हैं।
विक्की और अभिषेक के साथ काम करना कैसा रहा?
दोनों आपको भाई-भाई नहीं लगते? कद-काठी एक-सी लगती है, लेकिन दोनों अलग-अलग मिजाज के लोग हैं। विक्की के साथ मेरे बहुत हाई एनर्जी वाले रोल हुआ करते थे। वो और मैं हम दोनों को अनुराग कोई ब्रीफिंग नहीं देते थे। हम दोनों अपने डायलॉग पढ़कर आते थे और हम सीधे टेक करते थे। 1 या 2 टेक में वो ओके हो जाता था। जब विक्की का आखिरी दिन था शूट का तो मैंने उसे कहा भी कि तुम्हारी वजह से मुझे बतौर एक्टर बहुत सजग रहना पड़ा है। मैं सोचती थी कि मैं जब भी थोड़ा भी ढीली पड़ी, तो ये विक्की मेरा सीन अपने नाम कर जाएगा। लेकिन मजा बहुत आया विक्की के साथ।
अभिषेक के साथ सारे संजीदा वाले सीन थे। उसकी आदत है कि वो रिहर्स करता है जबकि मुझे लगता है कि मुझे रिहर्स मत कराओ, वरना मैं खर्च हो जाऊंगी और टेक में थक जाऊंगी। उसकी और अमितजी की एक जैसी बात है कि दोनों अपने आसपास एक बड़ी अच्छी सी एनर्जी रखते हैं तो सामने वाले को काम करने में भी मजा आता है। दोनों की आंखें बहुत एक्सप्रेसिव हैं। मुझे दोनों की आंखों में देखकर काम करने में मजा आता है।
अमिताभ और अभिषेक दोनों में अंतर क्या है?
दोनों की कद-काठी लगभग समान है। इसके अलावा थोड़ा-सा आवाज में अंतर है। अमितजी हर सीन के पहले अच्छे से और खूब सारी रिहर्सल करना पसंद करते हैं, वहीं अभिषेक रिहर्सल करेंगे और फिर वो कहते हैं कि चलो अब टेक कर लेंगे। अमितजी परफेक्ट काम करने में यकीन रखते हैं और बहुत ही ज्यादा विनम्र हैं सबसे, जबकि अभिषेक बहुत मजाकियां हैं, छेड़ते व मस्ती करते हैं। उनके सेंस ऑफ ह्यूमर की मैं कायल हूं। वैसे दोनों में बहुत सारे अंतर हैं।
थोड़े ही दिन पहले हम 'मुल्क' के लिए मिले थे, इस साल और कितनी फिल्में बची हैं?
(हंसते हुए) नहीं बस ये ही आखिरी है। वैसे भी मैंने इस मुकाम पर आने के लिए बहुत मेहनत की है, ऐसा मत बोलो। नहीं, लेकिन मैंने अपने आपको ढाल लिया है। मैं सुबह उठती हूं और सोचती हूं कि अच्छा आज कौन-सी फिल्म का प्रमोशन है? 'मुल्क' का, तो मैं मुल्क' के बारे में बात कर लेती हूं फिर सोचती हूं कि आज मेरी तेलुगु फिल्म है, तो चलो उसके प्रमोशन पर। पिछले 3-4 दिन से मैं 'नीवे वारो' के प्रमोशन पर थी और 'मनमर्जियां' तो चल ही रहा है। लेकिन मुझे मजा आ रहा है।