आमिर-सलमान के साथ शाहरुख के दांवपेंच

शाहरुख एक ऐसे समय इंडस्ट्री में आए, जब महानायक ‍अमिताभ बच्चन का दौर खत्म हो चला था। अनिल कपूर-जैकी श्रॉफ जैसे सितारों की चमक फीकी हो रही थी। सिने उद्योग किसी नए सुपर स्टार के उदय की बेसब्री से बाट जोह रहा था। इस लिहाज से शाहरुख के लिए मैदान साफ था और चुनौती बड़ी थी। यह चुनौती उन्हें अपने ही उपनामधारी दो नायकों से झेलनी पड़ी।
 
आमिर खान और सलमान खान नामक दो तीतर उनके आगे खड़े थे। खान-तिकड़ी के तीसरे सिरे के बतौर शाहरुख ने इनसे रिश्ता जोड़ा और सबसे आगे निकल गए। दिलचस्प बात है कि प्रतिभा में आमिर और शरीर सौष्ठव सलमान दिल्ली से आए इस अभिनेता की अपेक्षा इक्कीस थे।
 
शाहरुख ने आमिर का सीधे-सीधे मुकाबला नहीं किया। वे जानते थे कि अभिनय कौशल में कभी आमिर को पछाड़ नहीं पाएँगे। परोक्ष रूप से आमिर के साथ दाँव-पेंच आजमाने में उन्होंने गुरेज नहीं किया। आमिर द्वारा ठुकराई गई कुछ फिल्में शाहरुख ने हथियाईं और पलक झपकते ही अपने चहेते फिल्मकारों का एक बड़ा वर्ग खड़ा कर लिया। 
दर्शकों के सामने उन्होंने सीधे दरी बिछाई। आमिर की तरह जटिल भूमिकाओं के फेरे में पड़ने के बजाय शाहरुख ने जनता-जनार्दन को आसानी से समझ में आने वाली भूमिकाओं का सहारा लिया और उनके चहेते बन गए। सलमान खान के साथ शाहरुख की कभी पटरी नहीं बैठ पाई। दरअसल शाहरुख अपनी तिकड़मबाजियों से कई सितारों को कई दुश्मन बनाते रहे हैं। सलमान को कई फिल्मों से बाहर करवाने में उनकी भूमिका रही है। के.सी.बोकाड़िया की फिल्म हम तुम्हारे हैं सनम में शाहरुख-सलमान साथ-साथ थे। अपनी शातिर दिमागी का परिचय देते हुए शाहरुख ने सलमान का रोल आधा करवा दिया। इसके बाद उन्होंने खामोशी/हम दिल दे चुके सनम जैसी चर्चित फिल्मों के निर्देशक संजय लीला भंसाली की मेगा बजट वाली फिल्म देवदास की केंद्रीय भूमिका पाकर सलमान को पटखनी दी। 
 
इस पर भी सलमान खामोश रह जाते, अगर शाहरुख ने उनकी नूरेचश्म ऐश्वर्या को भी उनसे दूर न कर दिया होता। एक समय शाहरुख और ऐश्वर्या एक-दूसरे का गुणगान करते नजर आए। शाहरुख ने सारी कलाबाजियाँ पीठ पीछे दिखाईं। सीधे मुकाबले के लिए वे आमिर के साथ भी किसी फिल्म में खड़े नहीं हुए। इन्हीं वजहों से सलमान के साथ उनकी कई बार तनातनी हो चुकी है। कैटरीना कैफ की बर्थडे पार्टी में दोनों के बीच हुआ झगड़ा राष्ट्रीय खबर बन गया था और इसको लेकर खूब स्याही खर्च हुई। बाद में दोनों गले मिले और प्रशंसकों की जान में जान आई। 
 
अपने पूर्ववर्ती अभिनेताओं अमिताभ/नसीर/कमल हासन की तो शाहरुख ने खुलकर तारीफ की। मगर समकालीन अभिनेताओं के साथ वे लगातार उलझते रहे। सनी देओल तो यश चोपड़ा की फिल्म 'डर' के दौरान शाहरुख की कारस्तानियों से इस कदर खफा हुए थे कि जाटपुत्तर ने उन्हें शूटिंग के दौरान आत्मीयतापूर्वक दो धौल जमाए। 
 
अभिनेता अजय देवगन तो शाहरुख के नाम से बिदकते हैं। अजय को काजोल के मामले में शाहरुख का टाँग अड़ाना जरा भी पसंद नहीं। युवा दिलों की धड़कन रितिक रोशन और शाहरुख का द्वंद्व तो जगजाहिर है। रितिक के पिता राकेश रोशन ने ही शाहरुख को कोयला और करन-अर्जुन जैसी फिल्मों का नायक बनाया था, मगर शाहरुख उनके बेटे की लोकप्रियता से खीझते नजर आए। करण जौहर के साथ अपने अंतरंग संबंधों का फायदा उठाकर उन्होंने फिल्म कभी खुशी कभी गम में रितिक की भूमिका पर कैंची चलवाई और सारी तारीफ खुद ले गए। रोशन पिता-पुत्र अब इस खान से काफी सतर्क रहे। 
 
सुभाष घई की फिल्म परदेस में शाहरुख को देख एक फिल्मकार ने कहा - थोड़ा वीक है। क्या वीक एंड मना रहा है? शाहरुख और सुभाष घई के संबंध नरम-गरम रहे। शाहरुख ने जानबूझकर घई की फिल्म परदेस में अनमने भाव से अभिनय किया। वे फिल्म में अपनी भूमिका को लेकर संतुष्ट नहीं थे। नवागत अभिनेता अपूर्व अग्निहोत्री से भी उन्हें जलन महसूस हो रही थी। 
 
समकालीन कलाकारों के प्रति यह दुराभाव उन्होंने कई बार दिखाया है। वे परदे के पीछे से हमले करते रहे हैं। उन्हें एक भय हमेशा सताता रहता है कि कोई सपरिवार उनका अपहरण न कर ले। अपने इसी डर के चलते उन्होंने सरकार से एक बंदूक का लाइसेंस भी लिया है। यह बात दूसरी है कि बाद में बंदूक से भी उन्हें डर लगने लगा।

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