डिस्को संगीत के 'किंग' हैं बप्पी लाहिरी

शनिवार, 27 नवंबर 2021 (13:30 IST)
जन्मदिवस 27 नवंबर के अवसर पर...
 
अपने इस नए प्रयोग की वजह से बप्पी लाहिरी को करियर के शुरुआती दौर में काफी आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा लेकिन बाद में श्रोताओं ने उनके संगीत को काफी सराहा और वे फिल्म इंडस्ट्री में 'डिस्को किंग' के रूप में विख्यात हो गए। 
 
27 नवंबर 1952 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में जन्मे बप्पी लाहिरी का मूल नाम आलोकेश लाहिरी था। उनका रुझान बचपन से ही संगीत की ओर था। उनके पिता अपरेश लाहिरी बंगाली गायक थे, जबकि मां वनसरी लाहिरी संगीतकार और गायिका थीं। माता-पिता ने संगीत के प्रति उनके बढ़ते रुझान को देख लिया और इस राह पर चलने के लिए प्रेरित किया। 
 
बचपन से ही बप्पी लाहिरी यह सपना देखा करते थे कि संगीत के क्षेत्र में वे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर सकें। महज 3 वर्ष की उम्र से ही बप्पी लाहिरी ने तबला बजाने की शिक्षा हासिल करनी शुरू कर दी। इस बीच उन्होंने अपने माता-पिता से संगीत की प्रारंभिक शिक्षा भी हासिल की। 
 
बतौर संगीतकार बप्पी लाहिरी ने अपने करियर के शुरुआती वर्ष 1972 में प्रदर्शित बंगला फिल्म 'दादू' से की लेकिन यह फिल्म टिकट खिड़की पर नाकामयाब साबित हुई। अपने सपनों को साकार करने के लिए बप्पी लाहिरी ने मुंबई का रुख किया। वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म 'नन्हा शिकारी' बतौर संगीतकार उनके करियर की पहली हिन्दी फिल्म थी लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म भी टिकट खिड़की पर नकार दी गई। 


 
बप्पी लाहिरी की किस्मत का सितारा वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म 'जख्मी' से चमका। सुनील दत्त, आशा पारेख, रीना रॉय और राकेश रोशन की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में 'आओ तुम्हें चांद पे ले जाए' और 'जलता है जिया मेरा भीगी-भीगी रातों में' जैसे गीत लोकप्रिय हुए लेकिन 'जख्मी दिलों का बदला चुकाने' आज भी होली गीतों में विशिष्ट स्थान रखता है। 
 
वर्ष 1976 में बप्पी लाहिरी के संगीत निर्देशन में बनी एक और सुपरहिट फिल्म 'चलते-चलते' प्रदर्शित हुई। फिल्म में किशोर कुमार की आवाज में 'चलते-चलते मेरे ये गीत याद रखना' आज भी श्रोताओं में बीच अपनी अमिट पहचान बनाए हुए हैं। फिल्म 'जख्मी' और 'चलते-चलते' की सफलता के बाद बप्पी लाहिरी बतौर संगीतकार अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए। 
 
वर्ष 1982 में प्रदर्शित फिल्म 'नमक हलाल' बप्पी लाहिरी के करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है। प्रकाश मेहरा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म में किशोर कुमार की आवाज में बप्पी लाहिरी का संगीतबद्ध यह गीत 'पग घुंघरू बांध मीरा नाची थी' उन दिनों श्रोताओं में क्रेज बन गया था और आज भी जब कभी सुनाई देता है तो लोग थिरकने पर मजबूर हो उठते हैं। 
 
वर्ष 1983 में प्रदर्शित फिल्म 'डिस्को डांसर' बप्पी लाहिरी के करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। बी. सुभाष के निर्देशन में मिथुन चक्रवर्ती की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में बप्पी लाहिरी के संगीत का नया अंदाज देखने को मिला। 'आईएमए डिस्को डांसर', 'जिमी-जिमी जिमी आजा आजा' जैसे डिस्को गीत ने श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया। फिल्म में अपने संगीतबद्ध गीत की सफलता के बाद बप्पी लाहिरी 'डिस्को किंग' के रूप में मशहूर हो गए। 
 
वर्ष 1984 में बप्पी लाहिरी के सिने करियर की एक और सुपरहिट फिल्म 'शराबी' प्रदर्शित हुई। इस फिल्म में उन्हें एक बार फिर से निर्माता प्रकाश मेहरा और सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का अवसर मिला। फिल्म में अपने संगीतबद्ध सुपरहिट गीत 'दे दे प्यार दे', 'मंजिलें अपनी जगह हैं' के जरिए बप्पी लाहिरी ने श्रोताओं को अपना दीवाना बना दिया। वे करियर में पहली बार सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित भी किए गए। 
 
90 के दशक में बप्पी लाहिरी की फिल्मों को अपेक्षित सफलता नहीं मिली, हालांकि वर्ष 1993 में 'आंखें' और 'दलाल' के जरिए उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में वापसी की लेकिन इसके बाद उनकी फिल्मों को अधिक कामयाबी नहीं मिल सकी। 
 
बप्पी लाहिरी ने कई फिल्मों में अपने पार्श्वगायन से भी श्रोताओं को अपना दीवाना बनाया है। उनके गाए गीतों की लंबी फेहरिस्त में कुछ हैं- 'बंबई से आया मेरा दोस्त', 'देखा है मैंने तुझे फिर से पलट के', 'तू मुझे जान से भी प्यारा है', 'याद आ रहा है तेरा प्यार', 'सुपर डांसर आए हैं आए हैं', 'जीना भी क्या है जीना', 'यार बिना चैन कहां रे', 'तम्मा-तम्मा लोगे', 'प्यार कभी कम मत करना', 'दिल में हो तुम', 'बंबई नगरिया', 'उलाला-उलाला' आदि। 
 
बप्पी लाहिरी को फिल्म इंडस्ट्री में आए हुए 4 दशक से ज्यादा हो चुके हैं। बप्पी लाहिरी आज भी उसी जोश-ओ-खरोश के साथ फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं।(वार्ता)

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी