पिता और चाचा के साये में रवि चोपड़ा

समय ताम्रकर

बुधवार, 12 नवंबर 2014 (18:12 IST)
रवि चोपड़ा के पिता बीआर चोपड़ा फिल्मकार थे। बीआर की प्रेरणा से उनके छोटे भाई यश चोपड़ा भी फिल्म बनाने के लिए प्रेरित हुए, लिहाजा बीआर के बड़े बेटे रवि चोपड़ा का रुझान भी फिल्मों की ओर होना स्वाभाविक था। रवि और उनके चाचा यश चोपड़ा में 14 वर्ष का फासला था, लेकिन दोनों के बीच बहुत अच्छी पटती थी। जब संयुक्त परिवार था तब चाचा और भतीजा एक कमरा ही शेयर किया करते थे। यश चोपड़ा तब अपने बड़े भाई के साथ फिल्म मेकिंग की बारीकियां सीख रहे थे तब रवि भी उनसे कुछ सीख लिया करते थे। 
 
साठ और सत्तर के दशक में बीआर फिल्म्स का दबदबा था। सामाजिक सोद्देश्यपूर्ण फिल्में बीआर चोपड़ा का बैनर बनाया करता था। यश चोपड़ा ने भी अपने सिने करियर की शुरुआत बीआर फिल्म्स से की। उन्होंने कई सफल फिल्में इस बैनर के लिए बनाई। बाद में उन्हें कुछ फाइनेंसर्स ने अपना अलग बैनर बनाने की सलाह दी और यश चोपड़ा ने यशराज फिल्म्स के नाम से अपना बैनर शुरू किया। यश के इस फैसले से बीआर खास खुश नहीं थे। 
 
बीआर चोपड़ा के बैनर को संभालने की बड़ी जवाबदारी रवि चोपड़ा पर आ गई। रवि चोपड़ा ने जमीर (1975) नामक फिल्म निर्देशित की जिसने बॉक्स ऑफिस पर औसत सफलता हासिल की। द बर्निंग ट्रेन नामक मल्टीस्टारर फिल्म रवि ने 1980 में बनाई जो भारतीय सिनेमा की बड़ी असफल फिल्मों में से एक मानी जाती है। इधर यशराज फिल्म्स का बैनर सफल पर सफल फिल्में बनाए जा रहा था तो दूसरी ओर बीआर फिल्म्स को कोई खास सफलता हासिल नहीं हो रही थी। रवि अपने चाचा और पिता की तरह फिल्में नहीं बना पा रहे थे और नि:संदेह इसका बहुत बड़ा दबाव उन पर रहा होगा। 
 
अस्सी के दशक के आरंभ में भारत में टेलीविजन ने अपने पैर पसार लिए। बीआर फिल्म्स ने टीवी के क्षेत्र में कदम रखते हुए महाभारत नामक धारावाहिक बनाया। रवि चोपड़ा ने इसे निर्देशित किया और महाभारत भारतीय टीवी इतिहास के सबसे कामयाब टीवी धारावाहिकों में से एक रहा। इसके बाद बीआर चोपड़ा और रवि चोपड़ा ने ज्यादातर समय टीवी धारावाहिक बनाने में बिताया। नाम के लिए वे फिल्में भी बनाते रहे, लेकिन उन्हें खास कामयाबी हासिल नहीं हुई।
बागबान नामक कहानी बीआर चोपड़ा के पास लंबे समय से तैयार थी। उसे वे दिलीप कुमार के साथ बनाना चाहते थे, लेकिन किसी कारण फिल्म शुरू नहीं हो पाई। रवि चोपड़ा ने यह फिल्म अमिताभ बच्चन के साथ बनाई और बीआर फिल्म्स की आखिरी बड़ी सफलता यही फिल्म रही। 
 
बीआर चोपड़ा की मृत्यु के बाद रवि चोपड़ा कई तरह की परेशानियों में घिर गए। गोविंदा को लेकर उन्होंने बंदा ये बिंदास नामक फिल्म बनाई जो कि हॉलीवुड फिल्म 'माय कजिन विनी' की नकल थी। फिल्म के निर्माता 20 सेंचुरी फॉक्स को जब पता लगा तो वे मामला अदालत में ले गए और करोड़ों रुपये का हर्जाना मांगा। अदालत के पचड़ों में पड़ने पर रवि को करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ और रवि यह फिल्म प्रदर्शित भी नहीं कर पाए। इसी बीच उन्हें बीमारियों ने आ घेरा। वे कई बार अस्पताल में भी भर्ती हुए। यश चोपड़ा की मृत्यु भी रवि के लिए गहरा आघात थी। 
 
संभव है कि रवि को यह भी दु:ख था कि यश चोपड़ा के बेटे आदित्य चोपड़ा अपने पिता के बैनर को कई गुना आगे ले गए, लेकिन रवि यही काम अपने पिता के लिए नहीं कर पाए। 
 
27 सितम्बर 1946 को जन्में रवि ने 12 नवम्बर 2014 को आखिरी सांस ली। उनके दो बेटे हैं जिन्होंने फिल्म निर्माण का कोर्स अमेरिका से किया है। एक बेटा रणबीर कपूर का अच्छा दोस्त है और उनको लेकर ही एक फिल्म प्लान कर रहा है। 
 
निर्माता-निर्देशक के रूप में प्रमुख फिल्में : जमीर (1975), द बर्निंग ट्रेन (1980), मजदूर (1983), आज की आवाज (1984), दहलीज (1986), प्रतिज्ञाबद्ध (1991), बागबान (2003), बाबुल (2006), भूतनाथ (2008)
टीवी धारावाहिक : महाभारत 

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