मेघा बर्मन : अच्छी कलाकार बनने की ख्वाहिश

'मैं तो बस अच्छी और चुनौतीपूर्ण भूमिकाएँ करके अपनी कला को और विकसित करना चाहती हूँ। मुझे खुद को एक अच्छे कलाकार के साथ-साथ अच्छे इंसान के रूप में भी निखारना है। मैं अभिनय करते रहना चाहती हूँ फिर चाहे वो फिल्मों के लिए हो, चाहे थिएटर के लिए... हाँ, बस इतना पैसा मिलता रहे कि मैं हर महीने के अपने बिल्स चुका सकूँ।'

उन्हें न तो इस बात से उज्र है कि उन्हें अपने करियर की शुरुआत में ही 'लीक से हटकर' फिल्में और रोल ज्यादा मिले। न ही वे इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आगे उन्हें किस तरह के रोल मिलेंगे...। 'डैम999' में रज़िया का किरदार निभाने वाली मेघा बर्मन बॉलीवुड में पाँव रख चुकी हैं और अच्छे अवसरों के इंतज़ार में हैं।

विज्ञापन की दुनिया से हिन्दी सिनेमा में आने वाली इस बंगाली बाला के सपने ज़रा हटकर हैं। उन्हें बॉलीवुड में शबाना आज़मी, स्मिता पाटिल, नसीरुद्दीन शाह तथा अमिताभ बच्चन का काम प्रेरणा देता है और हॉलीवुड में वे अल पचीनो, मार्लन ब्राँडो तथा जैफ्री रश का काम पसंद करती हैं।

यूँ कमर्शियल फिल्मों से मेघा को कोई इंकार नहीं है, लेकिन वे उन्हीं फिल्मों को चुनना चाहती हैं, जिनकी स्क्रिप्ट में दम हों। फिर चाहे वह फिल्म हिन्दी हो या दक्षिण भारतीय भाषा की कोई फिल्म। वे कहती हैं कि अच्छी स्क्रिप्ट उनके अंदर के कलाकार को संतुष्ट कर देती है। वे कमर्शियल और ऑफबीट सिनेमा दोनों में संतुलन बनाकर चलना चाहती हैं।

मेघा कहती हैं कि-'मैं तो बस अच्छी और चुनौतीपूर्ण भूमिकाएँ करके अपनी कला को और विकसित करना चाहती हूँ। मुझे खुद को एक अच्छे कलाकार के साथ-साथ अच्छे इंसान के रूप में भी निखारना है। मैं अभिनय करते रहना चाहती हूँ फिर चाहे वो फिल्मों के लिए हो, चाहे थिएटर के लिए... हाँ, बस इतना पैसा मिलता रहे कि मैं हर महीने के अपने बिल्स चुका सकूँ।'
वैसे दक्षिण में कुछ फिल्में कर चुकीं मेघा हिन्दी फिल्म 'पाप' (वही भट्ट छाप) में भी एक छोटी-सी भूमिका कर चुकी हैं। इस फिल्म में वे खलनायक गुलशन ग्रोवर की बिटिया बनीं थीं, लेकिन यह भूमिका इतनी छोटी थी कि शायद ही किसी ने उन्हें नोटिस किया होगा।

खैर... दक्षिण भारतीय फिल्मों में मेघा को ठीक-ठाक काम मिलता रहा है। इन सबके अलावा न्यूयॉर्क के प्रसिद्ध संस्थान 'द ली स्ट्रॉसबर्ग थिएटर एंड फिल्म इंस्टीट्‌यूट', भारत में 'रोशन तनेजा स्कूल फॉर एक्टिंग' तथा 'श्यामक डावर्स इंस्टीट्‌यूट फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्‌स' आदि से भी मेघा ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। यानी मेघा के पास 'मेधा' की कोई कमी नहीं है। उनकी झोली में अभी बहुत ज्यादा फिल्में तो नहीं हैं लेकिन वे अच्छे काम के लिए इंतज़ार करने को भी तैयार हैं।

वे फिलहाल अपने अगले प्रोजेक्ट 'बैलेड ऑफ रुस्तम' में व्यस्त हैं। अजिता सुचित्रा वीरा की यह फिल्म हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में बन रही है। यह फिल्म भारत के एक दूरस्थ गाँव के कुछ लोगों की जिंदगी की कहानी कहती है।

- स्वागता मुखर्जी

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