'सिंघम' में नायक से ज्यादा उम्दा अभिनय विलेन का रहा। यानी जयवंत शिकरे के किरदार में प्रकाश राज अजय देवगन पर भारी पड़े हैं। अभिनय की जिन ऊँचाइयों को प्रकाश राज ने छुआ है वहाँ तक पहुँचना अभी अजय देवगन के लिए बाकी है। प्रकाश राज मुख्यतः तमिल, तेलुगु, कन्नाड़ व मलयालम फिल्मों में काम करते हैं और वे 4 बार नेशनल अवॉर्ड प्राप्त कर चुके हैं। "सिंघम" पहले तमिल में बन चुकी है। तमिल वर्जन में भी प्रकाश राज ने काम किया था।
लगभग 3-4 हिन्दी फिल्मों में काम करने के बावजूद प्रकाश राज स्वयं को हिन्दी सिनेमा के लिए नया मानते हैं। वे 1993 से फिल्मों में काम कर रहे हैं और लगभग 300 फिल्मों में काम कर चुके हैं। फिल्मों में अभिनय करने के साथ ही प्रकाश तमिल और तेलुगु फिल्मों के निर्माता-निर्देशक भी हैं। तमिल, तेलुगु और कन्नड़ भाषा में 15 फिल्में बना चुके हैं जो हिट भी रही हैं।
प्रकाश बताते हैं कि फिल्म के हिन्दी वर्जन में काम करने के लिए मैं पहले फिल्म के लेखकों से मिला। मैं जानना चाहता था कि उन्होंने फिल्म को किस तरह से डिजाइन किया है। फिल्म के लेखकों ने मुझे फिल्म की स्टोरीलाइन से लेकर डायलॉग तक सब अच्छी तरह से समझाए और लगभग ढाई घंटे की मीटिंग के बाद मैं निर्देशक रोहित शेट्टी से पहली बार मिला। फिर तो रोहित और मैं अच्छे दोस्त बन गए। वे कहते हैं कि जिस गति से रोहित काम करते हैं, वह मुझे बहुत पसंद आया।
काम को लेकर रोहित बहुत ही द़ृढ हैं। वे क्या चाहते हैं, उनके दिमाग में यह बिलकुल साफ रहता है। हमें बस उनके कहे अनुसार काम करना होता है। प्रकाश के अनुसार रोहित ने फिल्म में मुझे काम करने के लिए पूरा स्पेस दिया और फिल्म में मेरे केरेक्टर को भी तवज्जो दी गई। शायद इसीलिए प्रकाश "सिंघम" के हिन्दी वर्जन को तमिल की तुलना में ज्यादा संतोषप्रद बता रहे हैं।
वैसे रीमेक फिल्म में काम करने के लिए प्रकाश के मन में बड़ी शंका थी। "सिंघम" साउथ में बड़ी हिट रही थी। वे बताते हैं कि जब मैंने फिल्म की स्क्रिप्ट सुनी तो पाया यह मूल फिल्म से बिलकुल अलग है। रोहित और उनकी टीम ने इस फिल्म को बनाने का निर्णय पूरी तरह से सोच-समझकर लिया और उन्होंने बिलकुल नई फिल्म बनाई। अब जब रिलीज के बाद फिल्म बड़ी हिट साबित हो रही है तो प्रकाश इस सफलता को इंजॉय कर रहे हैं।
हिन्दी दर्शकों से उन्हें जो प्यार मिल रहा है वह बहुत पसंद आ रहा है। हो सकता है दर्शकों से मिल रहे इस प्यार को देखते हुए वे और हिन्दी फिल्मों में काम करने का मन बनाएं...। वैसे यह अच्छा ही होगा। यदि वे हिन्दी फिल्मों में विलेन की भूमिका करने का मन बना लेंगे तो बॉलीवुड की भी एक अदद दमदार विलेन की तलाश पूरी हो जाएगी।