एक इंटरव्यू में अमित साध ने बताया कि एक दिन अचानक उन्हें लगा कि उन्हें अपनी जिंदगी खत्म कर लेनी चाहिए। उन्होंने कहा, 16 से 18 साल की उम्र के बीच मैंने चार बार आत्महत्या करने की कोशिश की। मेरे अंदर सुसाइडल थॉट नहीं थे। बस मैं सुसाइड करना चाहता था।
उन्होंने आगे कहा, कोई प्लानिंग नहीं थी। एक दिन उठा और बार-बार खुद की जान लेने की कोशिश करने लगा। भगवान की कृपा से चौथी बार के प्रयास के बाद मुझे समझ आया कि यह रास्ता नहीं है, यह अंत नहीं है। फिर चीजें बदल गईं। मेरा नजरिया बदल गया। तब से मेरे अंदर कभी हार न मानने की फिलॉस्फी आ गई। इसके बाद मैंने आगे बढ़ने का ठान लिया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अमित साध ने बताया कि उन्हें खुद को इस हालात से निकालने में 20 साल लग गए। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि एक चीज मिली है- यह अंत नहीं है। जीवन एक उपहार है। इसलिए, जिस दिन मैंने इसे समझा, मैंने इसे जीना शुरू कर दिया। मैं धन्य और भाग्यशाली महसूस करता हूं कि मैं सफेद रोशनी के दूसरी तरफ हूं।