वीडियो में अमिताभ ने बताया कि बचपन से ही रेल से एक अलग लगाव रहा। दो साल का था मैं। जब मां बाबूजी के साथ पहली बार स्टेशन पर आया था। नानाजी को मिलकर हम स्टेशन पर पहुंचे। मां ने मेरा हाथ बाबूजी के हाथों में दिया और वो टिकट खरीदने चली गई। मेरा ध्यान स्टेशन पर आती ट्रेनों पर था। पटरी से गुजरती ट्रेनें मुझे लुभा रही थीं। न जाने कब बाबूजी का हाथ छुड़ाकर, सीढ़ियां चढ़कर ब्रिज पर जाकर खड़ा हो गया मैं।
अमिताभ आगे बताते है कि बाबूजी ने सोचा कि मैं मां के पास टिकट घर की तरफ चला गया हूं। इसलिए बाबूजी भी टिकट घर के पास गए और मां से मेरे बारे में पूछा। बाबूजी का सवाल सुनते ही वो घबरा गईं। वे दोनों पंद्रह मिनट तक मुझे ढूंढते रहे, तभी किसी ने उन्हें आकर कहा कि एक दो साल का बच्चा ब्रिज पर अकेले ही खड़ा है। दोनों ब्रिज की ओर दौड़ पड़े। मैं नीचे आती-जाती ट्रेनों को देखने में खोया हुआ था। मुझे वहां देखकर दोनों ने राहत की सांस ली।
अमिताभ बताते है कि आज इतने सालों के बाद भी मुझे इन ट्रेनों को देखना उतना ही पसंद है जितना तब था। करियर की शुरुआती दौर में मैंने कई बार मुंबई की लोकल ट्रेनों में सफर किया है। हालांकि अब चाहकर भी रेल से सफर मुमकिन नहीं हो पाता। लेकिन हमारी फिल्म इंडस्ट्री के कई कलाकार टेक्नीशियन रोजाना लोकल ट्रेन में सफ़र करते हैं और शायद यही वजह है कि हम अपनी शूटिंग समय पर कर पाते हैं।