फेस्टिवल की निदेशक सुनयना कट्टा ने जानकारी देते हुए कहा, हम विशेष रूप से विकलांग और वंचित बच्चों के लिए एक सेगमेंट शामिल किए जाने को लेकर खुश हैं। समारोह में मनोरंजन के साथ अच्छे संदेशों वाली अनूठी कहानियां बच्चों को देखने को मिलेंगी। यह फेस्टिवल फिल्म निर्माताओं की रचनात्मकता को प्रदर्शित करने के साथ-साथ पीढ़ियों के बीच आपसी रिश्तों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।
सुनयना, इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के साथ ही जागृति फिल्मोत्सव के लिए भी अपनी सेवाएं देती रही हैं। वे फिल्म समारोहों के प्रबंधन और संयोजन में ख़ासा अनुभव रखती हैं। सुनयना ने कहा, हम चाहेंगे कि फेस्टिवल में पैरेंट्स के साथ ही दादा-दादी भी शामिल हों। हम बच्चों और उनके दादा-दादी के बीच आत्मीय रिश्ते का जश्न मनाना चाहते हैं। उनके साथ बेहतरीन फ़िल्मी कहानियों और अनुभवों को साझा करना चाहते हैं।
सुनयना ने कहा, फेस्टिवल को सीनियर फिल्म डायरेक्टर राहुल रवैल, चैतन्य चिंचलिकर और ब्रायन श्मिट का अनुभवी मार्गदर्शन मिल रहा है। इसके एडवाइजरी बोर्ड में सुबोध शर्मा, मंजुला शिरोडकर, रेखा गुप्ता, शकील अख़्तर और रंजना यादव शामिल हैं। सभी सदस्य विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों की प्रिव्यू और जूरी से जुड़े रहे हैं। सिनेमा, कला और मीडिया के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट भूमिका निभा रहे हैं।
फेस्टिवल की निदेशक ने कहा, BICFF रचनात्मकता, कल्पना और विविध स्वरों का मंच है। जहां आनंद के साथ सीखने और सामुदायिक भावना का परस्पर अवसर है। एडवाइजरी बोर्ड के शकील अख़्तर ने सोशल मीडिया पर जारी अपने बयान में कहा है कि बच्चों के लिए शिक्षा और संस्कार के नज़रिए से इस तरह के कार्यक्रमों की बेहद ज़रूरत है। बच्चे फिल्मों में ख़ासी दिलचस्पी रखते हैं। उनके लिए यह फेस्टिवल ज्ञान, संवेदना और नई बातों का सीखने का अवसर होगा।
बोर्ड की सदस्य रेखा गुप्ता ने कहा कि इस फेस्टिवल में फीचर फिल्मों के साथ ही शॉर्ट् और एनिमेशन फिल्में भी दिखाई जाएंगी। ये फिल्में देश के अलावा विदेशों से चयनित की गई हैं। फेस्टिवल में हर किसी के लिए कुछ न कुछ है। उन्होंने इस रोमांचक फेस्टिवल से जुड़ने के लिए बच्चों और उनके पैरेंट्स से अपील की है। साथ ही इस बेहतरीन फ़िल्म फेस्टिवल के लिये दिल्ली पब्लिक स्कूल के मैनेजमेंट के प्रति आभार जताया है।