पुश्तैनी हवेली की तस्वीरें देख भावुक हुए दिलीप कुमार, सुनाए बचपन के किस्से

गुरुवार, 1 अक्टूबर 2020 (18:35 IST)
हाल ही में पाकिस्तानी पत्रकार शिराज हसन ने सोशल मीडिया पर दिलीप कुमार के पेशावर स्थित पुश्तैनी हवेली की कुछ तस्वीरें पोस्ट कीं। इन तस्वीरों को देखकर दिलीप कुमार भावुक हो गए। उन्होंने अपनी यादों का पिटारा खोलते हुए बचपन के कुछ किस्से और अपने घर से जुड़ी बातें शेयर कीं।

Thank you for sharing this. Requesting all in #Peshawar to share photos of my ancestral house (if you’ve clicked the pic) and tag #DilipKumar https://t.co/bB4Xp4IrUB

— Dilip Kumar (@TheDilipKumar) September 30, 2020


उन्होंने बताया कि कैसे वह घर उनके माता-पिता, दादा-दादी और कई चाचा-चाची-बुआ और उनके बच्चों की बातों और हंसने की आवाज से गुलजार रहता था।

#DilipKumar's sentiments on his ancestral house in #Peshawar. (2011) -FF
1/n I am at once full of fond remembrances of my parents, grandparents and numerous uncles, aunts and cousins who filled the house with the sounds of their chatter and hearty laughter.

— Dilip Kumar (@TheDilipKumar) October 1, 2020


घर की रसोई में मशरूफ रहने वाली अपनी मां को याद करते हुए दिलीज साहब ने बताया कि उनकी मां बेहुद नाजुक थी और हमेशा घर की बड़ी-सी रसोई में काम करती रहती थी और वे उनके काम के खत्म होने का इंतजार करते ताकि वो उनके पास बैठकर उनके खूबसूरत चेहरे को निहार सकें।

2/n My mother who was frail and delicate was always in the spacious kitchen of the house and as a little boy I would wait for her to finish her chores so that I could just sit by her side and gaze at her beautiful face.

— Dilip Kumar (@TheDilipKumar) October 1, 2020


घर के अन्य हिस्सों के बारे में दिलीप कुमार ने बताया कि सिटिंग रूम में पूरा परिवार शाम के नाश्ते के ‍लिए इकट्ठा होता था। उन्होंने आगे बताया कि घर में एक बड़ा सा कमरा था, जहां घर की सभी महिलाएं नमाज अदा करती थीं।

3/n I have memories of the sitting room where the family gathered for high tea in the evenings, the large room where the ladies prayed, the terrace, the bedrooms, everything.

— Dilip Kumar (@TheDilipKumar) October 1, 2020


दादा-दादी के साथ बिताए पलों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि वह अपने दादाजी को घोड़ा बनाकर उनकी सवारी किया करते थे और उनकी दादी उन्हें मनघड़ंत डरावनी कहानियां सुनाती थीं ताकि वह घर के बाहर अकेले न निकलें।

4/n I can vividly recall the piggy rides on my grandfather’s back and the scary stories my grandmother cooked up to forbid me from wandering out of the house alone.

— Dilip Kumar (@TheDilipKumar) October 1, 2020


दिलीप साहब ने आगे खुलासा किया कि उन्हें स्टोरी टेलिंग का पहला सबक कहां से मिला। उन्होंने बताया कि किस्सा ख्वानी बाजार में कहानी सुनाने वाले से उन्हें स्टोरी टेलिंग पहला सबक मिला, जिसने उन्हें बाद में फिल्म की कहानियों को चुनने में मदद दी।

4/n I can vividly recall the piggy rides on my grandfather’s back and the scary stories my grandmother cooked up to forbid me from wandering out of the house alone.

— Dilip Kumar (@TheDilipKumar) October 1, 2020


उन्होंने बताया कि कैसे एक शख्स किस्सा ख्वानी बाजार में दुकानों के बंद हो जाने के बाद चौराहे के बीच में बैठकर वीरता और जीत, छल और प्रतिशोध की कहानियां सुनाया करता था, जिसे वो अपने पिता और चाचा के साथ वहां बैठकर बड़े ही चाव से सुना करते थे।

6/6 Every day as the trading closed in the market of Qissa Khwani Bazaar, a story teller would sit in the centre of the square narrating stories of valour and victory, deceit and retribution which I would listen to with wide- eyed attention, seated next to my father and uncles.

— Dilip Kumar (@TheDilipKumar) October 1, 2020


हाल ही में खैबर पख्तूंख्वा सरकार ने ऐलान किया था कि वह दिलीप कुमार के घर को खरीदकर उसे संरक्षित करेगी और उसे एक एतिहासिक इमारत घोषित करेगी।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी