'द कश्मीर फाइल्स' को टैक्स फ्री करने पर 'झुंड' की निर्माता ने उठाया सवाल, पूछा- सरकार का मापदंड क्या है?

Webdunia
शनिवार, 19 मार्च 2022 (17:25 IST)
‍विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनी फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता मिल रही है। कश्मीरी पंडितों के नरंसहार पर बनी इस फिल्म को कई राज्यों में टैक्स फ्री कर दिया गया है, ताकि फिल्म को देखने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग सिनेमाघरों तक पहुंचे।

 
वहीं, 'द कश्मीर फाइल्स' के टैक्स फ्री होने पर फिल्म 'झुंड' की निर्माताओं सविता राज हिरेमठ ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने सवाल किया कि उनकी फिल्म 'झुंड' को टैक्स-फ्री क्यों नहीं बनाया गया क्योंकि उसे न केवल दर्शकों से पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला बल्कि एक सब्जेक्ट के तौर पर 'देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण' है। उन्होंने देश में फिल्मों के टैक्स फ्री होने के क्राइटेरिया पर सवाल उठाया है।
 
सविता राज हिरेमठ ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, उनकी फिल्म ‘झुंड’ भी कम महत्वपूर्ण नहीं थी। मैंने हाल ही में 'कश्मीर फाइल्स' देखी और कश्मीरी पंडितों के पलायन की कहानी के रूप में यह दिल दहला देने वाली है और यह एक ऐसी कहानी है जिसे बताए जाने की जरूरत है। 
 
उन्होंने लिखा, यह कश्मीरी पंडितों के लिए एक अच्छी आवाज है। लेकिन 'झुंड' के निर्माता के रूप में, मैं हैरान हूं। आखिरकार, 'झुंड' भी एक महत्वपूर्ण फिल्म है। इसमें एक कहानी और एक बड़ा संदेश है जिसे दर्शकों से जबरदस्त प्रशंसा मिली है। 
 
सविता ने आगे लिखा, मैं यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि सरकार के लिए एक फिल्म का चयन करने और उसे मनोरंजन कर से फ्री करने का क्या मापदंड है, जिसके आधार पर सरकार किसी फिल्म को टैक्स फ्री बनाकर, सोशल मीडिया के जरिए या फिर अपने कर्मचारियों को आधे दिन की छुट्टी देकर उस फिल्म का सपोर्ट कर सकती है। 
 
अपनी फिल्म की बात करते हुए उन्होंने लिखा, 'झुंड' एक ऐसा विषय है जो हमारे देश के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस फिल्म में सिर्फ जाति और आर्थिक असमानता के बारे में बात नहीं हुई। बल्कि 'झुंड' समाज के निचले तबके को उनकी सफलता की कहानी बनाने का एक तरीका भी दिखाता है।
 
बता दें कि फिल्म झुंड का निर्देशक नागराज मंजुले ने किया है। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन मुख्य किरदार में हैं। ये फिल्म सामाजिक कार्यकर्ता विजय बरसे के जीवन पर आधारित है। विजय बरसे की तो उन्होंने झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को टीम बनाने के लिए प्रेरित किया था। 
 

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