विद्या ने बताया, ‘‘मुझे वास्तव में ऐसा लगता है कि किसी के बारे में निर्णय देना मेरा काम नहीं है, लेकिन मैं इस बात के लिए कंगना की बहुत प्रशंसा करती हूं कि वह खुद के लिए मजबूती से खड़ी हुई हैं। मुझे लगता है कि यह बहुत प्रशंसनीय है क्योंकि महिला के तौर पर हम दूसरे लोगों, अपने परिवार के सदस्यों, बच्चों, पति, माता-पिता के लिए बहुत आसानी से खड़े होते हैं, लेकिन अपने लिए शायद ही ऐसा करते हों। कंगना खुद के लिए खड़ी हुई हैं, ऐसे में मैं कामना करती हूं कि उसे और ताकत मिले।’’
उन्होंने कहा, ‘‘किसी के पास बैठने भर से उस व्यक्ति के व्यवहार के बारे में निर्णय नहीं लिया जा सकता या इस बारे में कि वह किस दौर से गुजर रही है.. लेकिन महिलाओं का सशक्तिकरण देख कर मैं खुश हूं, वे अपने पांव पर खड़ी हैं। मैंने हमेशा माना है कि महिलाओं की अपनी ताकत होनी चाहिए। समाज में उनका महत्व होना चाहिए और हमेशा मेरा ऐसा मानना रहा है।’’(भाषा)