बिक गई किशोर कुमार की धरोहर, बनेगा व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स

Webdunia
रविवार, 20 मई 2018 (08:56 IST)
खंडवा। महान पार्श्वगायक किशोर कुमार को चाहने वाले लाखों फैंस के लिए यह बुरी खबर है। मध्यप्रदेश के खंडवा में जिस घर में उनका जन्म हुआ था, वह बिक गया है। अब यहां एक व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स बनाया जाएगा। गांगुली परिवार का यह मकान किशोर दा के छोटे पुत्र सुमीत कुमार और अनूप कुमार के पुत्र अर्जुन के नाम पर था।

इस बेशकीमती संपत्ति के खरीददार अभय जैन पेशे से कॉलोनाइजर और उन्नत कृषक हैं। जैन ने बताया कि किशोर कुमार के परिजनों से मिलकर इसकी डील की गई है। यहां वे एक व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स बनाएंगे और इसमें किशोर दा की स्मृतियों को भी संजोया जाएगा।

करीब 100 साल पुराने इस बंगाली शैली के मकान को किशोर कुमार के पिता कुंजीलाल गांगुली ने बनवाया था, जो कि शहर के एक प्रतिष्ठित वकील थे। उनकी पत्नी का नाम गौरीदेवी था और दोनों के नाम पर ही इसका नाम गौरी-कुंज गांगुली हाउस रखा गया था।

भारतीय फिल्म जगत के 3 महान सितारों अशोक कुमार, किशोर कुमार और अनूप कुमार का बचपन इसी घर में बीता। खास बात यह भी है कि स्वामी विवेकानंद भी शिकागो जाने के पहले जब खंडवा आए थे तो इसी गांगुली हाउस में रुके थे। यह शहर की ऐतिहासिक धरोहर तो है ही, किशोर कुमार के कारण यह दुनियाभर में उनके प्रशंसकों के लिए तीर्थ भी बन गई।

इस घर में 40 वर्षों से चौकीदारी कर रहे सीताराम बताते हैं कि किशोर साहब को इस घर से बहुत लगाव था। वे यहां जब भी आते, शाम को छत पर ही दोस्तों के साथ बैठते। उन्होंने यहां रहने के लिए इसकी मरम्मत भी कराई थी। अभी लोगों से सुना है कि यह घर बिक गया है, अब यह मालिकों की मर्जी। लोग तो यही चाहते हैं कि यह म्यूजियम बने।

खंडवा की इस ऐतिहासिक धरोहर के बिक जाने से किशोर प्रशंसक बेहद निराश हैं। वे चाहते हैं कि मध्यप्रदेश सरकार इसका जो भी बाजार मूल्य हो, वह आंककर इसे अधिग्रहीत कर ले। एक बार नगर निगम ने इस मकान को खतरनाक घोषित कर इसे तोड़ने का नोटिस दिया था तब भी इसके अधिग्रहण की मांग उठी थी लेकिन कलेक्टर ने आदेश रुकवाकर किशोर प्रशंसकों को मना लिया था।

खरीददार जैन कहते हैं कि यह पारिवारिक संपत्ति है इसलिए परिवार तो उसका उपभोग करना चाहेगा। इस संपत्ति का दाम गाइडलाइन के मुताबिक 14 हजार रुपए प्रति वर्गफीट है। अधिग्रहण की शर्तों के मुताबिक इसकी कीमत करीब 20 करोड़ रुपए होती है। यदि सरकार यह पेशकश करती है तो परिवार भी राजी होगा और हम भी इसमें सहयोग करेंगे। (वार्ता)

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