इसके एक पन्ने में जेम्स थर्बर के लेख का एक वाक्य कोट किया हुआ दिखाई दे रहा है। इसमें लिखा है- गुस्से में पीछे और डर से आगे मत देखो, लेकिन जागरूकता में चारों ओर देखो। हम गुस्से में उन लोगों की तरफ पीछे मुड़कर देखते हैं कि जिन्होंने हमें चोट पहुंचाई है, जो फ्रस्ट्रेशन हमने महसूस की हैं, जो दुर्भाग्य हमने सहा है।
इसमें लिखा है, हम इस डर से आगे देखते हैं कि हम अपनी नौकरी खो सकते हैं, कोई बीमारी हो सकती है, या किसी अपने की मौत का डर। हमें यहां सही होना होगा। फिलहाल जो हो चुका है या जो सकता था उसे लेकर बेचैन नहीं दिखना, पर इसके बारे में जागरूकता रखनी है।
किताब के पन्ने में सबसे नीचे लिखा है, मैं एक गहरी सांस लेती हूं, यह जानते हुए कि मैं जिंदा हूं और भाग्यशाली हूं। मैं पहले भी चुनौतियों का सामना कर चुकी हूं और मैं भविष्य में भी चुनौतियों का सामना करके बचूंगी। आज मुझे जिंदगी जीने के लिए कोई भी भटका नहीं सकता है।