पहला टेक ही सबसे अच्‍छा : श्रीदेवी

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श्रीदेवी अपने हर काम को बखूबी निभाना पसंद करती हैं और अपनी हर फिल्म और कैरेक्टर के साथ वे इंसाफ करती हैं। श्रीदेवी का मानना ​​है कि उन्हें शूटिंग के दौरान एक शॉट देने में विश्वास है। श्रीदेवी ने कहा कि मुझे याद नहीं है कि मैंने किसी फिल्म के लिए एक से ज्यादा टेक दिया हो। मेरा मानना ​​है कि पहला टेक ही सबसे अच्छा होता है क्योंकि आप उस वक़्त सहज होते हैं। 
 
श्रीदेवी ने 'चालबाज़', 'सदमा', 'लाड़ला', 'मिस्टर इंडिया' जैसी फिल्मों में शानदार काम किया है। उनका मानना है कि रोल की क्वालिटी ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है। श्रीदेवी ने कहा कि मैं लकी हूं और मैं अपने लेखकों, निर्देशकों और निर्माताओं को मुझे स्क्रीन पर तरह-तरह के रोल देने के लिए धन्यवाद देती हूं। मुझे अभी फिल्मों में काम नहीं करना। मैं पहले से ही घर में व्यस्त हूं, मुझे घर में अच्छा लगता है। मेरी दो बेटियां हैं। अगर काम में मुझे कुछ अलग मिलता है तभी मैं उसे करुंगी। 
 
श्रीदेवी की यह बात चौंका देती है कि वह अपने काम से खुश नहीं हैं। लेकिन उनकी आखिरी फिल्म 'मॉम' से उन्हें लगा कि सब सही हो रहा है। उन्होंने बताया कि फिल्म के ट्रायल के दौरान प्रतिक्रिया सकारात्मक थी। हमें पता था कि हम कहीं भी तकनीकी और कहानी के अनुसार गलत नहीं थे। मुझे फिल्म और कैरेक्टर के लिए दर्शकों की प्रतिक्रिया को देखकर खुशी है। लेकिन मुझे लगता है कि मैं इसे और बेहतर कर सकती थी। मैं अपने काम से संतुष्ट नहीं हूं। 
 
एक एक्टर और रियल लाइफ में मां बनने को लेकर वे अपने आप को फिल्म 'मॉम' की 'देवकी' से अपने आप को जोड़ती हैं। श्रीदेवी ने कहा कि यह रोल मुझे दर्शाता है। यह भावनाओं से भरा है, यह भावनाओं के बारे में है। मुझे अकेले रहना या किसी से बात नहीं करना जैसी बातें पसंद नहीं हैं। जब मैं इस तरह के रोल निभा रही होती हुं, तो मेरे लिए एक सामान्य होना असंभव होता है। मुझे यकीन है कि यह घटना किसी के साथ नहीं हुई होगी। यह फिल्म सचमुच मेरे दिल के बहुत करीब है। 

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