नागपुर से बी कॉम और फैशन डिजाइनिंग का कोर्स पूरा करने के बाद मृणाल संस्कृति, खेल और सामाजिक गतिविधियों से भी जुड़ीं फिर उसके बाद नादिरा बब्बर की थियेटर ग्रुप 'एकजुट' में शामिल हो गई और बॉलीवुड के तरफ अपना रुख की। राजश्री प्रोडक्शन के सूरज बड़जात्या की 'विवाह', प्रफुल और सुनील तिवारी की फिल्म 'रन वे-लव एमोंग गन शॉट्स' और पंकज परासर की 'गिल्ली गिल्ली अट्टा' जैसी कई फिल्मों में भी मृणाल ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और सिनेदर्शकों को एहसास कराया कि वो अपने अभिनय कौशल के बदौलत टीवी और फिल्म जगत में समान रूप से छा जाना चाहती है।
फिल्मों के तरफ अपना रुख करने से पहले नाट्य जगत में मृणाल अनगिनत स्टेज कार्यक्रमों में शामिल होती रही और स्टेज की दुनियां में भी अपना वर्चस्व कायम करने में कामयाब रही। मसलन परितोष पेंटर की हिंदी कॉमेडी 'ये क्या हो रहा है' और इंग्लिश प्ले 'अमर अकबर और टोनी', विपुल मेहता की 'हम ले गए तुम रह गए' में जावेद जाफरी के साथ, रमेश तलवार की 'डॉ मुक्ता' एवं जया बच्चन और नादिरा बब्बर की 'यहूदी लड़की' जैसी कई प्ले को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
टीवी शोज की बात करें तो अदाकारा मृणाल देशराज के हिस्से में पूर्व में भी बालाजी टेली फिल्म्स की 'कहीं तो होगा' (स्टार प्लस), बी आर चोपड़ा की 'सुजाता' (सोनी), अरुणा ईरानी प्रोडक्शन की 'डोली सजा के रखना' (सहारा टीवी), हट्स प्रोडक्शन्स की 'छोटी सी ज़िन्दगी', कॉन्टिलो फिल्म्स की 'भारत का पुत्र- महाराणा प्रताप' (सोनी टीवी) जैसी कई ड्रामेटिक शोज आए जिसे मृणाल देशराज ने अपने किरदारों को अपने अभिनय से जीवंत करते हुए टीवी दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहीं।
बकौल मृणाल देशराज मेरे लिए विश्वसनीयता मायने रखती है। यह धारावाहिकों, फिल्मों, वेब श्रृंखलाओं के साथ साथ उन ब्रांडों के लिए भी है जिनसे मैं जुड़ चुकी हूं या मुझे जुड़ना है। मैं स्क्रीप्ट्स, डायरेक्टर्स, प्रोड्यूसर्स व संस्थागत बैनर से भावनात्मक रिश्तों के साथ जुड़ती हूं। भूमिकाएं यदि दमदार हों तो उसे जीने में मुझे काफी आनंद मिलता है। कर्म को ही मैं पूजा मानती हूँ।