कुर्बानी मूवी में अमिताभ बच्चन की जगह कैसे आए विनोद खन्ना?

समय ताम्रकर
कुर्बानी फिल्म 1980 में रिलीज हुई थी और यह फिरोज खान के करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्म साबित हुई थी। फिरोज ने इसे बनाने में पैसा पानी की तरह बहाया था। नए कैमरे लाए। लोकेशन पर खर्चा किया। स्टंट को जानदार बनाने में कोई कसर नहीं रखी। नई नवेली मर्सिडीज कार को खूब ठोका। यह उस दौर की सबसे महंगी फिल्म थी। डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्चा फिरोज ने किया और इसका उन्हें भरपूर फायदा भी हुआ। दर्शकों ने यह फिल्म हाथों-हाथ ली। गानों ने धूम मचा दी। ज़ीनत अमान ने कैमरे के सामने कम कपड़ों में बेहिचक परफॉर्मेंस दी।


 
फिल्म की कहानी मुख्यत: तीन किरदारों के इर्दगिर्द घूमती है जिसे फिरोज खान, ज़ीनत अमान और विनोद खन्ना ने अभिनीत किया था। फिरोज ने अपना किरदार चुन लिया था। जीनत अमान उनकी पहली पसंद थी, लेकिन विनोद खन्ना वाले रोल के लिए उन्होंने अमिताभ बच्चन को सोच रखा था। 


 
फिल्म कुरबानी उन्होंने अमिताभ को ऑफर की। अमिताभ उस दौर में सुपरस्टार थे। बेहद व्यस्त रहते थे। फिरोज को अमिताभ ने 6 महीने रूकने के लिए कहा। फिरोज इसके लिए तैयार नहीं हुए। फौरन उन्होंने यह फिल्म विनोद खन्ना को ऑफर कर दी। 
 
विनोद उस समय अमिताभ के समकक्ष थे। वे कुरबानी करने के लिए राजी हो गए। इस तरह से अमिताभ वाले रोल में विनोद नजर आए। फिल्म ने धूम मचा दी और विनोद का निर्णय सही साबित हुआ। बाद में फिरोज और विनोद ने ‘दयावान’ नामक फिल्म फिर साथ की थी, लेकिन कुरबानी वाला जादू वे नहीं जगा पाए। 

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