निर्माता : बसंत तलरेजा, कार्तिकेय तलरेजा निर्देशक : गिरीश गिरीजा जोशी संगीत : बापी टुटुल कलाकार : मिथुन चक्रवर्ती, महेश मांजरेकर, रिया सेन, सचिन खेड़ेकर, राज जुत्शी, सीमा बिस्वास, गुलशन ग्रोवर, हार्दिक ठक्कर, आयशा कादुस्कर
12 वर्षीय करण की जिंदगी मजे से कट रही है। घर पर उसे सभी प्यार करते हैं। अच्छे स्कूल में वह पढ़ता है। शाम को एक पेड़ के नजदीक वह अपने दोस्त रितेश, लड्डू और प्रिया के साथ क्रिकेट खेलता है।
करण के घर से कुछ दूरी पर एक गंदा सा दिखने वाला भिखारी छोटी-सी झोपड़ी में रहता है। उसके पास कुछ गंदे से बैग है। सभी बच्चे उसे रावण के नाम से पुकारते हैं और अपना दुश्मन मानते हैं।
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13 वर्षीय राम के माता-पिता मजदूर हैं। वह भी एक कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करता है, जो करण के घर के नजदीक है। वह अक्सर करण और उसके दोस्तों को क्रिकेट खेलते हुए देखता है। राम का साइट मैनेजर गुप्ता उससे घंटों काम लेता है।
एक दिन रावण पर निगाह रखने के लिए करण एक पेड़ पर ट्री हाउस बनाने की सोचता है। ट्री हाउस बनाने के लिए कुछ सामान लेने वह उस कंस्ट्रक्शन साइट पर पहुँचता है, जहाँ राम काम करता है। गुप्ता के क्रोध से करण को राम बचाता है और वे दोनों अच्छे दोस्त बन जाते हैं। ट्री हाउस बनाने में राम, करण और उसके दोस्तों की मदद करता है।
सभी बच्चों का ट्री हाउस एक नया घर बना जाता है, जहाँ उन्हें कोई परेशान नहीं करता। बच्चों को यह जानकर बहुत गुस्सा आता है कि उनका दुश्मन रावण रात में उनके ट्री हाउस में सोता है। वे उसे रोकने के लिए नई तरकीबें सोचते हैं, लेकिन उन्हें इस बात का अहसास भी होता है कि जिनके घर नहीं होते उन्हें कितनी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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इस समस्या का हल वे ढूँढ सके, उसके पहले एक और समस्या खड़ी होती है। गुप्ता अपने साथी बक्षी के साथ उस पेड़ को काटने की सोचता है, जिस पर बच्चों का ट्री हाउस है। इस मामले में रावण भी बच्चों का साथ देता है। एक तरफ बच्चें और भिखारी रावण है तो दूसरी तरफ शक्तिशाली गुप्ता और बक्षी हैं।
क्या बच्चें अपना ट्री हाउस उस शक्तिशाली बिल्डर से बचा पाएँगे? विकास जरूरी है या पर्यावरण? इसे जानने के लिए देखना होगी ‘जोर लगा के हइया’।