कलाकार : अमिताभ बच्चन, दीपिका पादुकोण, इरफान खान, मौसमी चटर्जी, जीशु सेनगुप्ता, रघुवीर यादव
पीकू बड़े शहर की सिंपल, खुले और मजबूत विचारों वाली कामकाजी लड़की है। वह पेशे से आर्किटेक्ट है और दिल्ली में अपनी शर्तों पर रहती है, परंतु फिर भी वह जमीन से जुड़ी हुई है। उसके लिए परिवार सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। वह अपने पिता की देखभाल में कोई कमी नही रखती। पीकू जिम्मेदारियों से भागती नहीं है।
भास्कर बैनर्जी उर्फ बाबा पीकू के पिता हैं जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं और अपना ज्यादातर समय उम्र संबंधी मुद्दों के बारे में सोचते हुए बिताते हैं। वह जिद्दी और नाटकीय हैं और उनकी अपनी समस्याएं हैं। उनकी पसंद-नापसंद बिल्कुल अलग है और अपनी विचारधाराओं को बदलना उनके लिए नामुमकिन है। उन्हें सामाजिक जीवन पसंद नहीं है। बाबा, फिल्मों में आमतौर पर होने वाले हीरो जैसे नहीं हैं परंतु फिल्म उनकी घरेलू जिंदगी के इर्दगिर्द घुमती है।
राणा, बैनर्जी परिवार का हिस्सा नही है परंतु वह बैनर्जी परिवार में चलने वाली गतिविधियों में उलझा रहता है। वह एक टैक्सी सर्विस का मालिक है और उसकी खुद की भी बहुत सी समस्याएं हैं। बैनर्जी परिवार की समस्याओं में उलझने से राणा की परेशानियां बढ़ गई हैं और इससे फिल्म में मजाकिया मोड़ आते हैं।