यह फिल्म भारत के बहादुर सरदार उधम सिंह के जीवन पर आधारित है। उधम सिंह एक वीर और देशभक्त व्यक्ति थे, जिन्होंने भारत की ब्रिटिश अधीनता के खिलाफ निस्वार्थ और साहसपूर्वक लड़ाई लड़ी थी। यह फिल्म 1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार में बेरहमी से मारे गए अपने प्यारे भाइयों की मौत का बदला लेने के लिए सरदार उधम के अडिग मिशन पर केंद्रित है।
1919 में पंजाब में अंग्रेजों के खिलाफ आक्रोश पनप रहा था। अप्रैल की शुरुआत में, माइकल ओ'डायर ने अशांत शहर अमृतसर में 'आदेश बहाल' करने का फैसला किया। 13 अप्रैल के दिन बीस हजार निहत्थे लोग जलियांवाला बाग में इकट्ठे हुए। जनरल डायर सशस्त्र सैनिकों के साथ वहां पहुंचा।
लगभग 1650 राउंड 10 मिनट में दाग दिए गए। यह एक खूनखराबा था। उस समय 20 वर्षीय उधमसिंह, इस हत्याकांड से बहुत आहत हुए थे। 1931 में उधम भारत से निकल कर अफगानिस्तान पहुंचे और वहां से 1933-34 में समुद्र के रास्ते लंदन पहुंचे।
उन्होंने अपने जीवन के सबसे निर्णायक 6 वर्ष लंदन में बिताए। जलियांवाला बाग का बदला लेने के लिए धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा कर रहे थे। आखिरकार वे कामयाब रहे। लंदन में मार्च 1940 में उधम सिंह ने माइकल ओ'डायर को गोली मारकर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लिया।