मनोरंजक पार्टनर

निर्माता : सोहेल खा
निर्देशक : डेविड धवन
संगीत : साजिद-वाजिद
कलाकार : सलमान खान, लारा दत्ता, कैटरीना कैफ, गोविंदा, राजपाल यादव

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क्या हो रहा है? क्यों हो रहा है? कहाँ हो रहा है? कैसे हो रहा है? जैसे प्रश्नों को डेविड धवन की फिल्म देखने के पूर्व दिमाग से निकालना पड़ता है। इसके बाद ही आप उनकी फिल्म का आनंद उठा सकते हैं। ‘पार्टनर’ फिल्म उन लोगों के लिए नहीं है, जो कला फिल्मों को पसंद करते हों या फिल्म में किसी किस्म का संदेश तलाशते हों।

डेविड का हमेशा यह उद्देश्य रहा है कि उनकी फिल्म देखने के बाद दर्शक हँसते हुए घर जाएँ। ‘पार्टनर’ में वे अपने इस उद्देश्य में सफल है। दो घंटे बीस मिनट की इस फिल्म में ढेर सारी मस्ती और धमाल है, जिसके जरिये आपको हँसने के कई मौके मिलेंगे, लेकिन शर्त वही है कि दिमाग को घर पर रखकर आएँ।

इस फिल्म को डेविड ने द्विअर्थी संवादों और फूहड़ता से दूर रखा है। पिछली दो फिल्मों के मुकाबले उनकी यह फिल्म बेहतर है।

प्रेम (सलमान खान) उन लोगों की मदद करता है जो अपनी पसंद की लड़कियों के दिल जीतने में असफल रहते हैं, इसीलिए उसे लव-गुरु कहा जाता है।

एक दिन उसके पास भास्कर (गोविंदा) आता है। 30 हजार रुपए की नौकरी करने वाला भास्कर अरबपति लड़की प्रिया (कैटरीना कैफ) को चाहता है। प्रेम उसे बताता है कि प्रिया को पाना असंभव है, लेकिन वह प्रेम के पीछे पड़ जाता है।

इसी बीच प्रेम को भी नैना (लारा दत्ता) से प्यार होता जाता है। प्रेम के सारे फार्मूलें नैना के सामने फेल हो जाते हैं। फिर शुरू होता है प्रेम और भास्कर का दिल जीतने का खेल और अंत में प्यार की जीत होती है।



फिल्म में कहानी नाम की कोई चीज नहीं है। सिर्फ दृश्यों और संवादों के जरिये फिल्म को आगे बढ़ाया गया है। मध्यांतर के पहले वाला हिस्सा मनोरंजक है। दूसरे हिस्से में पहले जैसा बहाव नहीं है। कुछ दृश्यों का कोई मतलब नहीं है। इनके कारण यह हिस्सा लंबा लगता है। फिल्म का क्लॉयमैक्स शानदार है।

फिल्म को मनोरंजक बनाने में सबसे बड़ा योगदान है संजय छैल का। उन्होंने बहुत ही चुटीले संवाद लिखे हैं। उनके संवादों पर कई बार तालियाँ बजती है। कई दृश्यों का वजन सिर्फ संवादों के कारण ही बढ़ा है।

कुछ दृश्यों में गोविंदा और सलमान ने अपना भी मजाक उड़ाया है। मसलन सलमान का कहना कि उन्हें तो बस शर्ट उतारने का बहाना चाहिए या जोधपुर से उन्हें विशेष लगाव है। गोविंदा के मोटापे को लेकर भी संवाद लिखे गए हैं।

हास्य भूमिका निभाने का सलमान का एक अंदाज है। उसी अंदाज को उन्होंने यहाँ दोहराया है। इस फिल्म में वे बेहद हैंडसम लगे हैं। गोविंदा भी अपने चिर-परिचित अंदाज में नजर आएँ, लेकिन वे बेहद मोटे हो गए हैं। कैटरीना के साथ रोमांस करते समय वे उसके अंकल दिखाई देते हैं।

सलमान और गोविंदा की जुगलबंदी खूब जमी है। राजपाल यादव छोटा डॉन बनकर हँसाते है, लेकिन कुछ लोगों को उनके दृश्य बकवास लग सकते हैं। कैटरीना और लारा का काम सिर्फ सुंदर दिखना था। बाल कलाकार अली हाजी ने भी बढि़या काम किया है।

भले ही साजिद-वाजिद का संगीत लोकप्रिय हो रहा हों, लेकिन उनके संगीत में कुछ खास दम नहीं है।

कुल मिलाकर ‘पार्टनर’ उन लोगों के लिए हैं जो डेविड धवन का सिनेमा पसंद करते हैं या उन लोगों के लिए जो चाहते हैं कि उनका कुछ समय हँसते हुए बीते।