हाईवे: फिल्म समीक्षा

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कई बार सिर्फ सफर में ही मजा आता है। जहां से हम चले थे वहां वापस जाना नहीं चाहते हैं और न ही मंजिल तक पहुंचना, ऐसा लगता है कि सफर कभी खत्म नहीं हो। कुछ ऐसे ही हालात हैं इम्तियाज अली की फिल्म 'हाईवे' के। इस फिल्म की शुरुआत और अंत थोड़ा गड़बड़ है, लेकिन बीच का सफर मजेदार है।

इम्तियाज भारत के मशहूर पर्यटन स्थलों पर नहीं गए हैं। उन्होंने अपने नजरिये से खेत, रोड, नदियां और पहाड़ इतनी खूबसूरती से दिखाए हैं कि उन लोगों की आंखें खुल जाएगी जो सुंदर लोकेशन के लिए विदेश भागते हैं। फिल्म की कहानी ऐसी नहीं है कि आपने पहली बार देखी हो। अपहरणकर्ता और अपहृत के बीच बनते रिश्ते पर आधारित फिल्में पहले भी आई हैं, लेकिन इम्तियाज का प्रस्तुतिकरण 'हाईवे' को देखने लायक बनाता है।

वीरा (आलिया भट्ट) एक अमीर और शक्तिशाली इंसान की बेटी है। उसे तथाकथित तमीज और तहजीब से नफरत है। वह अपने घर में कैद महसूस करती है। खुली हवा में वह सांस लेना चाहती है। शादी के ऐन पहले रात में वह अपने मंगेतर के साथ हाईवे पर घूमने जाती है। अशिष्ट गंवई किस्म का इंसान महाबीर भाटी (रणदीप हुडा) वीरा का अपहरण कर लेता है। जब उसके साथियों को पता चलता है कि वह वीरा को उठा लाया है जिसका पिता बहुत पॉवरफुल है तो वे महाबीर को उसे छोड़ने का कहते हैं, लेकिन अड़ियल महाबीर नहीं मानता और वीरा को ट्रक में लेकर राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, कश्मीर घूमता रहता है।

अपहरण होने के बावजूद बीरा एक किस्म की आजादी महसूस करती है। उसे रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। दो अलग पृष्ठभूमि से आए और अलग मिजाज के वीरा और महाबीर इस सफर में एक-दूसरे के निकट आते हैं। दोनों पर एक-दूसरे की सोहबत का असर भी होता है।

फिल्म के दोनों किरदारों का भयावह बचपन रहा है। वीरा का उसके पिता का दोस्त बचपन में यौन-शोषण करता था तो महाबीर का पिता उसकी मां से बुरा व्यवहार करता था। साथ में घूमते हुए उनके भीतर की ये कड़वाहट निकलती है। एक-दूसरे के साथ रहते हुए दोनों किरदारों में हुए बदलाव को इम्तियाज ने बेहद सूक्ष्मता के साथ दिखाया है।

अक्खड़ महाबीर को चापलूसी या किसी के लिए कार का दरवाजा खोलना पसंद नहीं है, लेकिन जब उसके मन में वीरा के प्रति कोमल भाव जागते हैं तो वह ट्रक का दरवाजा वीरा के लिए खोलता है। इसी तरह महाबीर के साथ रहते-रहते वीरा अपने गुस्से और नाराजगी का इजहार करना सीख जाती है और घर वापस लौटने पर उस अंकल को जलील करती है जो बचपन में उसके साथ यौन-शोषण करता था।

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इंटरवल तक फिल्म जबरदस्त है। इम्तियाज अली ने बिना संवाद, बैकग्राउंड म्युजिक, गाने या एक्शन के जरिये कई बेहतरीन दृश्य पेश किए हैं। वैसे तो फिल्म शोर-शराबे से दूर है और पूरी फिल्म में प्रकृति का स्वर बैकग्राउंड में नदियों की कल-कल और चिड़ियों की चहचहाट के जरिये सुनने को मिलता है। कई दृश्यों में पिन ड्रॉप साइलेंस भी है।

इंटरवल के बाद फिल्म हाईवे छोड़कर कभी-कभी उबड़-खाबड़ रास्ते पर चलती है, लेकिन इसका कोई खास असर समग्र फिल्म पर नहीं होता है। इंटरवल के बाद एक सीन बेहद कमजोर है जिसमें महाबीर के लिए वीरा खाना बनाती है और रोते हुए महाबीर को संभालती है। वीरा और महाबीर के बीच कई बेहतरीन और हल्के-फुल्के सीन हैं। अंग्रेजी गाने पर डांस वाला सीन बहुत ही अच्छी तरह रचा गया है।

जहां तक शुरुआत का सवाल है तो वीरा का अचानक अपहरण होना और उसके बाद के सीन में जल्दबाजी नजर आती है। ऐसा लगा कि ये प्रसंग निर्देशक जल्दी से निपटाना चाहता है। साथ ही कई दृश्य इतने अंधेरे में फिल्माए कि स्क्रीन पर कुछ भी नजर नहीं आता। फिल्म का अंत ठीक है, लेकिन इससे बेहतर भी सोचा जा सकता था। कुछ दृश्य ऐसे भी हैं जिन्हें महज खूबसूरती के कारण रखा गया है। यदि इनका मोह नहीं होता तो फिल्म की लंबाई कम होती और यह फिल्म के लिए बेहतर भी होता।

जब वी मेट, लव आज कल और रॉकस्टार जैसी फिल्म बनाने वाले इम्तियाज का अलग ही अंदाज 'हाईवे' में नजर आता है और अच्छी बात यह है कि उन्हें एक ही तरह की फिल्म बनाने से परहेज भी है। इम्तियाज की फिल्म में सफर और लोकेशंस महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हाईवे में यह बात और भी निखर कर आती है। कहानी की बजाय उन्होंने किरदारों पर जोर दिया है और किरदारों के सहारे ही कहानी को उम्दा तरीके से आगे बढ़ाया है। अपने किरदारों को स्टीरियोटाइप होने से उन्होंने बचाया है।

एक फिल्म पुरानी आलिया भट्ट ने शानदार अभिनय किया है, लेकिन ये किरदार उनसे और ज्यादा की मांग करता था। अपहरण होने के बाद उनके चेहरे पर डर या खौफ के जो भाव नजर आने थे, वो नदारद थे। मासूमियत वाले भाव वे अच्छी तरह से ले आती हैं। क्लाइमेक्स सीन में आलिया का अभिनय देखने लायक है। इस लंबे सीन को आलिया ने अच्छी तरह से निभाया है। 'हाईवे' के बाद निश्चित रूप से आलिया के करियर में उछाल आएगा।

रणदीप हुडा का चयन फिल्म में उनके लुक के कारण हुआ है। उनका देशी लुक किरदार की डिमांड था और रणदीप इस मामले में खरे उतरे। अक्खड़ और भाव हीन महाबीर का किरदार उन्होंने खूब निभाया।

सिनेमाटोग्राफर अनिल मेहता ने 'हाईवे' को बेहद खूबसूरती के साथ निभाया है। भारत की खूबसूरती और मिट्टी की गंध उनके कैमरे के जरिये दर्शक महसूस कर सकते हैं। एआर रहमान ने फिल्म के मूड के अनुरूप संगीत रचा है और इम्तियाज ने गानों का फिल्म में अच्छा उपयोग किया है।

रोड मूवी को पसंद करने वाले और फिल्मों में कुछ अलग देखने की चाह वालों को 'हाईवे' जरूर पसंद आएगी।

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बैनर : नाडियाडवाला ग्रेंडसन एंटरटेनमेंट, यूटीवी मोशन पिक्चर्स, विंडो सीट फिल्म्स
निर्माता : इम्तियाज अली, साजिद नाडियाडवाला
निर्देशक : इम्तियाज अली
संगीत : ए.आर. रहमान
कलाकार : रणदीप हुडा, आलिया भट्ट
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 13 मिनट 12 सेकंड
रेटिंग : 3/5

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