हॉलीवुड सिनेमा की सबसे बेहतरीन और रोमांचक सिरीज में से एक 'हैरी पॉटर' ने लोगों के दिलों पर एक दशक से भी ज्यादा राज किया है। लेकिन हर कहानी कभी न कभी खत्म होती ही है। सालों से जारी इस शानदार सफर के अंत के बारे में कई कयास लगाए जा रहे थे पर नि:संदेह दस साल पहले शुरू हुई इस महागाथा का अंत भी बेहद शानदार किया गया है।
हैरी पॉटर की सफलता का सबसे बड़ा राज है कि इस फिल्म से दर्शक दिल से जुड़े हैं। एक बहादुर और समझदार नवयुवक के रूप में हैरी को बुराई की ताकतों से लड़ते देखना एक अविस्मरणीय अनुभव है। सीढ़ियों के नीचे बनी कोठरी में रहने वाले 11 साल के मासूम हैरी को कई फिल्मों में बड़ा होते देखते हुए दर्शक खुद-बखुद की इस किरदार के करीब आ गए थे। इस फिल्म के अंतिम भाग 'हैरी पॉटर एंड द डेथली हॉलोज पार्ट 2' में हैरी को दु:साहसी किशोर से एक साहसी युवक के रूप में बदलते देखना और भी अच्छा लगा।
हैरी पॉटर के इस अंतिम भाग में जबरदस्त कम्प्यूटर प्रभाव डाले गए हैं। ड्रेगन की पीठ पर उड़ने से लेकर शैतान लॉर्ड वॉल्डामोर्ट और उसके साथियों के साथ हैरी की लड़ाई शानदार तरह से फिल्माई गई है। डेविड यॉट्स द्वारा निर्देशित और 3डी तकनीक से फिल्माई गई इस फिल्म में ऐसे बहुत से दृश्य है जो दर्शकों को लंबे समय तक याद रहेंगे।
यह भाग शुरू होता है लॉर्ड वॉल्डेमोर्ट द्वारा हैरी के दोस्त और प्राध्यापक डम्बलडोर की कब्र से दुनिया के सबसे शक्तिशाली जादू की छड़ी को हासिल करने से। (डैनियल रैडक्लिफ) हैरी पॉटर और दोस्तों हरमाइनी (एम्मा वॉटसन) और रॉन (रूपर्ट ग्रिंट) महापिशाच लॉर्ड वॉल्डेमोर्ट को मारने के लिए उसकी आत्मा के विभिन्न भागों जो हॉरक्रुक्सेस में छुपे है को नष्ट करने के लिए अपनी जान की बाजी लगा देते हैं।
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इस फिल्म में हैरी की भूमिका निभा रहे डेनियल क्लिफ ने बेहद आत्मविश्वास से इस फिल्म में हैरी के किरदार को जिया है। हांलाकि उसके साथियों ने अंतिम फिल्म के लिहाज से कोई ऐसा प्रदर्शन नहीं किया जो यादगार बन जाए पर दस सालों से रुपहले पर्दे पर हर बार रोमांच के नए आयाम बनाती इस महागाथा की समाप्ति ने इन सितारों के लिए नए आसमान खोल दिए हैं।
यूं तो कई कई अच्छी फिल्मों के अंत बुरे होते हैं पर करोड़ो दर्शकों के चहेते किरदार हैरी पॉटर की अंतिम फिल्म का इससे अच्छा अंत हो ही नहीं सकता था। किताबों और फिल्मों से हमने हैरी और उसके साथियों को बड़ा होते देखा है। इसलिए हैरी पॉटर को अलविदा कहने में थोड़ा दुख तो होगा ही...।