ओटीटी प्लेटफॉर्म से उन कलाकारों को फायदा मिल रहा है जिनके लिए बॉलीवुड फिल्मों में जगह नहीं है। सुष्मिता सेन की आर्या 2 स्ट्रीमिंग हुई तो साथ ही रवीना टंडन ने 'अरण्यक' के जरिये ओटीटी पर डेब्यू किया है। इसे रमेश सिप्पी ने प्रोड्यूस किया है जो इन दिनों फिल्में नहीं बना रहे हैं। अरण्यक की कहानी में जंगल है जिसके जरिये दहशत, सस्पेंस, राजनीति का तानाबाना बुना गया है।
उत्तर भारत के एक गांव के पुलिस स्टेशन पर एक नए ऑफिसर (परमब्रत) की नियुक्ति होती है क्योंकि कस्तूरी डोगरा (रवीना टंडन) लंबी छुट्टियों पर जाने वाली होती हैं। अचानक एक पुराना केस खुल जाता है। साथ ही एक विदेशी टूरिस्ट की बेटी का कत्ल भी हो जाता है। मिथक फैल जाता है कि जिसने भी ऐसा किया है वो आधा मानव है और आधा जानवर। ऐसा बहुत पहले हुआ था और यह अजीब सा हत्यारा फिर लौट आया है। कस्तूरी को भी फिर से काम पर लौटना पड़ता है और एक साथ कई मोर्चों पर लड़ना पड़ता है।
शो में कई बात समेटने की कोशिश की गई है। पुलिस स्टेशन की राजनीति, हत्याएं, जांच, राजनेताओं का दबाव, फैमिली ड्रामा, आधा नर आधा जानवर के रहस्य की गुत्थी। इतने सारे ट्रैक्स को संभालना चुनौतीपूर्ण काम था। कुछ ट्रैक्स अच्छे रहे तो कुछ अधपके से।
अरण्यक को जिस तरह से सेट किया गया है वो अपील करता है। खासतौर पर घने जंगल देखना अच्छा लगता है। रहस्य को लेकर उत्सुकता पैदा की गई है, हालांकि यदि आप स्मार्ट दर्शक हैं तो भेद खुलने के पहले बहुत कुछ जान जाते हैं।
कुछ किरदार दिलचस्प हैं जैसे बूढ़े सिपाही बने आशुतोष राणा। हालांकि उनके किरदार के बारे में बताया गया है कि उन्हें भूलने की बीमारी है, लेकिन इसके बाद उन्हें भूलते हुए कुछ नहीं दिखाया गया है।
उच्चारण की समस्या से यह सीरिज जूझती नजर आती है। सभी कलाकार बोली को अपने हिसाब से उच्चारित करते हैं और उनका लहजा बार-बार बदल जाता है। ऐसी समस्या थी तो सीधे तरीके से ही बोलते दिखा देते।
निर्देशक विनय वैकुल ने निर्देशक के रूप में ज्यादा प्रयोग नहीं किए हैं। घटनाक्रम तेजी से नहीं घटते हैं, लेकिन आभास होता है कि सब कुछ तेजी से हो रहा है। हर एपिसोड को एक ट्विस्ट के साथ खत्म किया है जिससे दर्शकों की रूचि इसमें बनी रहती है।
सौरभ गोस्वामी की सिनेमाटोग्राफी शानदार है। पहाड़ और जंगल अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहते हैं और कहानी के लिए अच्छा माहौल बनाते हैं।
रवीना टंडन को लीड रोल अदा करने को मिला है और वे किरदार के साथ न्याय करती हैं। परमब्रत चट्टोपाध्याय ने एक कठिन रोल में उनका साथ अच्छे से निभाया है। मेघना मलिक, जाकिर हुसैन, आशुतोष राणा मंझे हुए कलाकार हैं।
अरण्यक राइटिंग डिपार्टमेंट में थोड़ी लड़खड़ाती है, लेकिन वन टाइम वॉच है।