Major Movie Review: परफेक्ट न होकर भी बात कह जाती है मेजर

समय ताम्रकर
शनिवार, 4 जून 2022 (14:10 IST)
मेजर फिल्म की शुरुआत में ही दिखा दिया गया है कि यह फिल्म मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के जीवन से प्रेरित है, लेकिन साथ में ये लाइन भी जोड़ दी गई कि यह काल्पनिक कथा है। सिनेमा के नाम पर छूट भी ली गई है। इस विरोधभासी वाक्य को पढ़ते ही उन लोगों की फिल्म के प्रति विश्वसनीयता कम हो जाती है जो यह सोच कर फिल्म देखने आए थे कि 'मेजर' पूरी तरह से संदीप उन्नीकृष्णन के जीवन पर आधारित होगी। फिल्म में दिखाई कौन सी बात सही है और कौन सी छूट के नाम पर दिखाई गई है, ये कहना मुश्किल है और ये दर्शकों के नजरिये पर निर्भर है। फिर भी यह माना जा सकता है कि संदीप से जुड़ी मोटी-मोटी बातें तो फिल्म में दिखा दी गई है। 
 
बहरहाल, मेजर संदीप उन्नीकृष्णन भारत के उन बहादुर सिपाहियों में से एक थे जिन्होंने अपनी जान से ज्यादा लोगों की जान बचाने की परवाह की। 26/11 वाला अटैक जब मुंबई पर हुआ और होटल ताज में आतंकवादी घुस कर मासूम लोगों को मौत के घाट उतारने लगे तब एनएसजी के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने शहीद होने के पहले कई लोगों की जान बचाई और भारत के करोड़ों लोग ऐसे ही बहादुरों की वजह से चैन की सांस ले रहे हैं। 
 
मेजर फिल्म की शुरुआत संदीप के बचपन से है। संदीप बचपन से ही 'यूनिफॉर्म' के प्रति आकर्षित थे और उनका इसके प्रति जुनून अलग ही स्तर का था। इसके लिए न उन्होंने अपने माता-पिता की सुनी और न ही प्रेमिका की। ऐसे ही जुनूनी व्यक्ति ही कुछ कर दिखाते हैं और संदीप ने कर दिखाया। 'परिवार से पहले देश' का वह आदर्श उदाहरण थे। 
 
फिल्म का पहला हाफ संदीप के के इस जुनून के प्रति ही समर्पित है। कैसे वे नेवी में रिजेक्ट होने के बाद फौज में शामिल हुए। किस तरह से उन्होंने ट्रेनिंग ली। इसके साथ ही उनकी प्रेम कहानी भी चलती है। 
 
दूसरे हाफ में 26/11 वाला प्रसंग है। संदीप ने किस तरह से इस मिशन पर जाने की जिद की। गोली छूती हुई निकल गई फिर भी वह डटे रहे। अपने सीनियर्स को उन्होंने इस बात के लिए राजी किया कि वे ताज होटल की पांचवीं मंजिल पर जाकर कुछ लोगों की जान बचाएंगे। 
 
फिल्म की कहानी और स्क्रीन प्ले को अडिवि शेष ने लिखा है। फैमिली ड्रामा के जो सीन रखे गए हैं वे थोड़े नकली लगते हैं। इमोशन जगाने के चक्कर में निर्देशक और लेखक ने थोड़ी अति कर दी। 
 
संदीप की लव स्टोरी बहुत अपील नहीं कर पाती। लव स्टोरी में जो बैकग्राउंड म्यूजिक रखा गया है वो बिलकुल मैच ही नहीं करता। होना तो ये था कि फैमिली ड्रामा और लव स्टोरी को देख दर्शक खुश हो जाते, लेकिन इन्हें उदासी वाले माहौल के साथ पेश किया गया है। 
 
26/11 वाले हमले को लेकर कई फिल्में बनी हैं। दर्शक इस घटना से काफी हद तक परिचित हैं, इसलिए यह घटनाक्रम देख लगता है कि बातें दोहराई जा रही हैं। चूंकि इस मिशन से संदीप जुड़े थे, इसलिए इस मिशन को किस तरह अंजाम दिया गया, क्या प्लानिंग की गई जैसी बातों पर फोकस किया जाता तो इस हमले को नए एंगल के साथ बताया जा सकता था। माना कि फिल्म संदीप के ऊपर आधारित है, लेकिन इस हिस्से को बेहतर बनाया जा सकता था।   
 
लेकिन फिल्म की इन कमियों पर इमोशन्स भारी पड़ते हैं। संदीप के कैरेक्टर के प्रति जो लगाव और सम्मान पैदा होता है वो फिल्म के अंत तक बना रहता है। इसलिए फिल्म बहुत उम्दा न होकर भी अच्छी लगती है क्योंकि फिल्म के जरिये जो बात कहनी थी वो दर्शकों को छूती है। 
 
निर्देशक शशि किरण तिक्का का कहानी का प्रस्तुति करण अच्छा है। संदीप के पिता के नजरिये से उन्होंने कहानी को आगे बढ़ाया है।
 
अडिवि शेष ने फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले लिखने के साथ-साथ लीड रोल भी निभाया है। मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के रोल में वे परफेक्ट लगे हैं। चेहरे से वे मासूम और लवर बॉय लगते हों, लेकिन बात जब बहादुरी की आती है तो उनके एक्सप्रेशन्स भी देखने लायक हैं। वे पहली फ्रेम से ही संदीप के रूप में पसंद आने लगते हैं और फिल्म पसंद आने का वे भी बड़ा कारण हैं। सई एम मांजरेकर, प्रकाश राज, शोभिता धुलीपाला, रेवती, मुरली शर्मा जैसी सपोर्टिंग कास्ट ने फिल्म के एक्टिंग डिपार्टमेंट को मजबूत किया है। 
 
मेजर 'परफेक्ट' फिल्म भले ही न हो, लेकिन 26/11 के नायक संदीप उन्नीकृष्ण की कहानी प्रभावी है। 

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