आम्रपाली जब गौतम बुद्ध पर हो गई मोहित, तब क्या हुआ...

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- अनिरुद्ध जोशी 
 
गौतम बुद्ध का जन्म वैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ। उन्होंने चार आर्य सत्य, आष्टांगिक मार्ग का मध्यम मार्ग बताया। उनके साथ एक साथ 10 हजार से हजार भिक्षु विहार करते थे। उन्होंने महिलाओं को तब तक अपना शिष्य नहीं बनाया जब तक कि उनके समक्ष यह बात प्रस्तुत नहीं हुए। कहते हैं कि आम्रपाली ने महिलाओं के भिक्षुणी बनने के मार्ग को खोलने में सहयोग किया। 
 
आओ जानते हैं गौतम बुद्ध और आम्रपाली के बारे में कुछ खास।
 
1. आम के वृक्ष के नीचे मिली आम्रपाली : बिहार में एक जिला है जिसका नाम वैशाली है। यहां की नगरवधू आम्रपाली और यहां के राजाओं के किस्से इतिहास में भरे पड़े हैं। कहते हैं कि एक गरीब दंपति को एक अबोध मासूम लड़की आम के पेड़ के नीचे मिली। पता नहीं कौन थे उसके माता-पिता और क्यों उसे आम के वृक्ष ने नीचे छोड़कर चले गए। आम के नीचे मिलने के कारण उसका नाम आम्रपाली रखा गया।
 
2. सुंदरता की चर्चा पूरे नगर में जब फैल गई : आम्रपाली जब किशोरावस्‍था में पहुंची तो उसके रूप और सौंदर्य की चर्चा नगर में फैल गई। नगर का हर पुरुष उससे विवाह करने के लिए लालायित हो उठा। राजा से लेकर व्यापारी हर कोई आम्रपाली को पाना चाहता था। उसके माता पिता के समक्ष अब दुविधा और भय उत्पन्न हो चला था। अगर आम्रपाली किसी एक को चुनती तो राज्य में अशांति फैल जाती।
 
3. इस तरह बनीं नगरवधू : जब वैशाली के राज प्रशासन को यह पता चला तो उन्होंने नगर में शांति स्थापित करने के लिए आम्रपाली को क्रमानुसार अंत में नगरवधू बना दिया। आम्रपाली को जनपथ कल्याणी की उपाधि 7 साल के लिए दी गई। इसे साम्राज्य की सबसे खूबसूरत और प्रतिभाशाली महिला को दिया जाता था।
 
4. खुद के महल और दासियों से घिरी रहती थीं आम्रपाली : नगरवधू बनते और जनपथ कल्याणी की उपाधि मिलते ही उसे एक आलीशाल महल और उसकी देखरेख करने के लिए नौकर एवं दासियां मिली। आम्रपाली को संपूर्ण स्वतंत्रता थी। उसे लोगों से शारीरिक संबंध बनाने के लिए चयन का अधिकार भी मिला। इसके साथ ही वह दरबार की नर्तकी भी बन गई। 
 
5. दूर देशों तक थी उसके रूप की चर्चा : आम्रपाली के रूप की चर्चा जगत प्रसिद्ध थी और उस समय उसकी एक झलक पाने के लिए सुदूर देशों के अनेक राजकुमार उसके महल के चारों ओर अपनी छावनी डाले रहते थे। उसके महल के आसपास निरंतर गतिविधियां चलती रहती थी। उसकी सुरक्षा में कई सैनिक तैनात रहते थे। कहते हैं कि मगध के राजा बिंबिसार ने आम्रपाली को पाने के लिए वैशाली पर आक्रमण कर दिया था। आम्रपाली बिंबिसार के बच्चे की मां बनी। यह भी कहा जाता है कि बाद में बिंबिसार का पुत्र भी आम्रपाली के मोह में पड़ गया था। 
 
6. एक दिन नगर में आए गौतम बुद्ध : वैशाली में गौतम बुद्ध के प्रथम पदार्पण पर उनकी कीर्ति सुनकर उनके स्वागत के लिए सोलह श्रृंगार कर अपनी कई परिचारिकाओं सेविकाओं सहित आम्रपाली गंडक नदी के तट पर पहुंची। वे गौतम बुद्ध से मिलना चाहती थी। उसके वहां पहुंचते ही भिक्षुओं में हलचल मच गई।
 
7. बुद्ध ने भिक्षुओं को चेताया : कहते हैं कि आम्रपाली को देखकर बुद्ध को अपने शिष्यों से कहना पड़ा कि तुम लोग अपनी आंखें बंद कर लो या नीचे कर लो..., क्योंकि भगवान बुद्ध जानते थे कि आम्रपाली के सौंदर्य को देखकर उनके शिष्यों के लिए संतुलन रखना कठिन हो जाएगा। उनका वैराग्य खत्म हो जाएगा। वे मार्ग से भटक जाएंगे।
 
8. आम्रपाली ने किया बुद्ध का स्वागत : कहते हैं कि ज्ञान प्राप्ति के 5 वर्ष पश्‍चात भगवान बुद्ध का वैशाली आगमन हुआ और उनका स्वागत वहां की प्रसिद्ध राजनर्तकी आम्रपाली ने किया था। बौद्ध धर्म के इतिहास में आम्रपाली द्वारा अपने आम्रकानन में भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों को निमंत्रित कर भोजन कराने के बाद दक्षिणा के रूप में वह आम्रकानन भेंट देने की बड़ी ख्याति है।
 
9. भिक्षु पर मोहित हो गई आम्रपाली : यह भी कहते हैं कि आम्रपाली एक बौद्ध भिक्षु पर मोहित हो गईं थी। आम्रपाली ने बौद्ध भिक्षु को ना केवल खाने पर आमंत्रित किया बल्कि 4 महीने के प्रवास के लिए भी अनुरोध किया था। बौद्ध भिक्षु ने उत्तर दिया कि वह अपने गुरु बुद्ध की आज्ञा के बाद ही ऐसा कर सकते हैं। कहते हैं कि गौतम बुद्ध ने उस भिक्षु को 4 माह के लिए आम्रपाली के साथ रहने की अनुमति दे दी। अंत में आम्रपाली ने गौतम बुद्ध से कहा कि मैं आपके भिक्षु को मोहित नहीं कर पाई और उनकी आध्यात्मिकता ने मुझे ही मोहित कर धम्म की राह पर चलने को विवश कर दिया है।
 
10. भिक्षुणी बन गई आम्रपाली : आम्रापानी ने गौतम बुद्ध के समक्ष भिक्षु बनने की इच्छा प्रकट की परंतु पहले तो बुद्ध ने इसके लिए इनकार कर दिया। हालांकि इस घटना के बाद ही बुद्ध ने स्त्रियों को बौद्ध संघ में प्रवेश की अनुमति दी थी। आम्रपाली इसके बाद सामान्य बौद्ध भिक्षुणी बन गई और वैशाली के हित के लिए उसने अनेक कार्य किए। उसने केश कटा कर भिक्षा पात्र लेकर सामान्य भिक्षुणी का जीवन व्यतीत किया।
 
बुद्ध और आम्रपाली की कथा-

आम्रपाली और गौतम बुद्ध की कहानी कई तरह से पढ़ने को मिलते हैं। इस संबंध में एक कथा मिलती है कि एक बार भगवान बुद्ध विचरते हुए वैशाली के वन-विहार में आए। नगर में उनके दर्शन करने के लिए आमजनों के साथ ही नगर के बड़े-बड़े श्रेष्ठिजन भी उनके दर्शन के लिए पहुंचे।

हर किसी की इच्छा थी कि तथागत उसका निमंत्रण स्वीकार करें और उसके घर भोजन करने के लिए पधारें। वैशाली की सबसे सुंदर और प्रतिष्ठित गणिका आम्रपाली भी बुद्ध के तपस्वी जीवन को देखकर प्रभावित हो चुकी थी तथा वह भी अपना यह घृणित जीवन छोड़कर भिक्षुणी बनना चाहती थीं। यही सोचकर वह भी गौतम बुद्ध को निमंत्रण देने पहुंच गई।
 
बुद्ध ने उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया और वे उसके घर हो भी आए। जब उनके शिष्यों को इस बात का पता चला तो उन्होंने बुरा मान कर उनसे स्पष्ट रूप से कहा कि उन्होंने एक गणिका के घर जाकर बड़ा ही अनुचित कार्य किया है। अपने शिष्यों की बात सुनकर तथागत उन सबसे बोले, 'श्रावको! आप लोगों को आश्चर्य है कि मैंने गणिका के घर कैसे भोजन किया। उसका कारण यह है कि वह यद्यपि गणिका है किंतु उसने अपने को पश्चाताप की अग्नि में जलाकर निर्मल कर लिया है।
 
जिस धन को पाने के लिए मनुष्य मनौतियां करता हैं और न जाने क्या-क्या तरीके इस्तेमाल करता है, उसी को आम्रपाली ने तुच्छ मानकर लात मारी है और अपना घृणित जीवन त्याग दिया है। ऐसे में मैं उसका निमंत्रण कैसे अस्वीकार कर सकता था। आप लोग स्वयं सोचे कि क्या अब भी उसे हेय माना जाए?'
 
गौतम बुद्ध की बात सुनकर सभी शिष्यों को महसूस हुआ कि बुद्ध तो सही बात कर रहे हैं। इसलिए उन्हें बहुत पश्चाताप हुआ और उन्होंने तथागत से क्षमा मांगी। बुद्ध ने भी अपने शिष्यों को माफ कर दिया।
 
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