आपको करों से कितनी राहत मिलेगी या फिर अपना घर बनाना आसान होगा ? कौन सी जरूरी उपयोग की वस्तुएँ महँगी होंगी और कौन सी चीजें सस्ती होंगी ? ये बातें आम आदमी की इच्छाओं से जुड़ी होती हैं लेकिन वर्ष 2010-11 के आम बजट से आम आदमी की सारी इच्छाएँ पूरी नहीं होगी। बजट प्रावधानों से यह रेखांकित होता है कि सरकार जहाँ एक हाथ से करों में छूट देने की घोषणा कर रही है वहीं दूसरी ओर सीमेंट पर करों का भार बढ़ने से लोगों के लिए घर बनाना महँगा होगा। पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर प्रति लीटर 1 रुपए की वृद्धि से आम आदमी प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगा।
इस वर्ष के बजट प्रावधानों में आयकर पर छूट की सीमा में कोई आम आदमी को कोई लाभ नहीं मिला है। मध्यवर्गीय लोगों को 1लाख 60 से 5 लाख तक 10 फीसदी आयकर का प्रावधान है जिससे स्पष्ट है कि मध्यम वर्ग को मामूली राहत देने की कोशिश की गई है। आठ लाख की कर योग्य आय पर 30 फीसदी कर और पाँच से आठ लाख की आय पर 20 फीसदी कर मध्यम वर्ग को राहत देने की कोशिश की गई है।
सर्विस टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स और अप्रत्यक्ष करों में कमी से आम लोगों पर भी प्रभाव पड़े बिना नहीं रहेगा तो इससे कंपनियों और विभिन्न सेक्टरों को भी अतिरिक्त बोझ सहन करना पड़ेगा। सोशल सेक्टर और कृषि पर बढ़ते निवेश तथा सीमेंट पर बढ़ा कर जहाँ सेक्टर से लिए लाभ प्रद हो सकता है लेकिन आम आदमी को इसकी कीमत चुकानी ही होगी? पर कुल मिलाकर यह बजट हमारे पाठकों के लिए कैसा रहा है यह हमारी चिंता का विषय है। इसलिए हम अपने पाठकों से उम्मीद करते हैं कि वे बजट की खामियों और खूबियों पर अपने विचार हम तक पहुँचाने का कष्ट करें।