घरेलू अर्थव्यवस्था में नई गति का संकेत देते हुए गुरुवार को पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत चार वर्ष में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगा। पर अर्थव्यवस्था के आवेग को बनाए रखने के लिए राजकोषीय स्थिति को मजबूत बनाने और सरकारी खर्चों को सही दिशा देने पर जोर दिया गया है।
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा संसद में आज पेश 2009-10 की आर्थिक समीक्षा में चालू वित्तीय वर्ष में 7 से 7.5 प्रतिशत और अगले वित्तीय वर्ष में 8 से 8.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।
इसमें 2011-12 तक नौ प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हासिल कर लेने की उम्मीद व्यक्त करते हुए कहा गया है कि पिछले कुछ महीनों से आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी के बाद प्रोत्साहन उपायों की समीक्षा और राजकोषीय स्थिति की मजबूती पर ध्यान देना जरूरी हो गया है।
समीक्षा में कहा गया है‘भारतीय अर्थव्यवस्था की मध्यकालिक संभावनाएँ वास्तव में काफी मजबूत हैं। इसके साथ यदि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में ढाँचागत सुविधाओं में सुधार और प्रशासनिक स्तर पर भष्टाचार को समाप्त कर दिया जाए तो भारतीय अर्थव्यवस्था द्विअंकीय वृद्धि के असाधारण दौर में पहुँच सकती है और अगले चार वर्षों में इसके दुनिया की सबसे तेज वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बनने की प्रबल संभावना है।’
उल्लेखनीय है कि इस समय भी भारतीय अर्थव्यवस्था चीन के बाद दुनिया की दूसरी सबसे तेज गति से वृद्धि कर रही प्रमुख अर्थव्यवस्था है और इसमें 2008-09 के मंदी के दौर में भी 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी।
समीक्षा में कहा गया,‘यह राजकोषीय प्रणाली पर भारी दबाव डालता है। सक्षम खाद्य स्टाक प्रबंधन तथा समय पर स्टाक की ऑफलोडिंग के मुद्दे पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।’
समीक्षा में कहा गया कि 2009 के दक्षिण पश्चिम मानसून मौसम विशेषकर जुलाई और अगस्त 2009 के दौरान बारिश में कमी से खरीफ फसलें बुरी तरह प्रभावित हुईं और धान की सफल सबसे अधिक प्रभावित हुई।
इसमें कहा गया कि सितंबर 2009 में मानसून के ठीक हो जाने और मानसून के बाद सामान्य से आठ प्रतिशत अधिक संचयी वर्षा से खरीफ फसलें कुछ हद तक बचीं और 2009-10 की रबी फसलों की संभावनाओं में सुधार हुआ।
समीक्षा में कहा गया कि 2009-10 में कुल 44.20 लाख टन खरीफ दलहन उत्पादन अनुमानित है जो 2008-09 के उत्पादन से आठ प्रतिशत कम और 2009-10 के लक्ष्यित उत्पादन से 32 फीसदी कम है।
इसमें कहा गया कि 2009-10 के दौरान नौ तिलहनों का कुल खरीफ उत्पादन 152 .33 लाख टन अनुमानित है जो 2008-09 के खरीफ उत्पादन से लगभग 15 प्रतिशत कम है। (भाषा)