नई दिल्ली। विशेषज्ञों के अनुसार महंगाई को देखते हुए आम बजट में करमुक्त आय की सीमा 25,000 रुपए बढ़ाकर 2.25 लाख रुपए की जा सकती है और वित्तमंत्री इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड में निवेशक पर कर में अतिरिक्त छूट का लाभ देने की योजना फिर घोषित कर सकते हैं ताकि आधारभूत सुविधाओं के विकास की परियोजनाओं के लिए अधिक दीर्घकालिक पूंजी जुटाई जा सके।
आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि नजदीक आ रहे आम चुनावों को देखते हुए सरकार द्वारा नौकरीपेशा तबके को कुछ राहत देने के लिए कर मुक्त आया की सीमा 2 लाख रुपए से बढ़ाकर 2.25 लाख रुपए की जा सकती है। इस तरह आवास ऋण पर डेढ़ लाख रुपए के बजाय 2 लाख रुपए तक के ब्याज पर करछूट का लाभ दिया जा सकता है।
भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (आईसीएसआई) के पूर्व अध्यक्ष निसार अहमद के अनुसार इस समय 2 लाख रुपए तक की सालाना आय करमुक्त है। महंगाई को देखते हुए यह कम है, पर सरकारी खजाने की स्थिति भी कठिन है, ऐसे में 2.25 लाख रुपए तक की आय करमुक्त हो सकती है।
आयकर की धारा 80सी के तहत विभिन्न प्रकार के निवेश पर मिलने वाली 1 लाख रुपए की कर छूट को भी बढ़ाकर कम से कम डेढ़ लाख रुपए किया जा सकता है। दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष और प्रमुख शेयर कारोबारी अशोक अग्रवाल भी मानते हैं कि 2.25 लाख रुपए की सालाना आय कर मुक्त हो सकती है, लेकिन बड़े अमीरों पर ऊंची दर से कर लगाने से कारोबारी धारणा बिगड़ सकती है।
इंफ्रास्ट्रक्चर बांड में 20,000 रुपए तक के निवेश पर कर लाभ सुविधा फिर शुरू हो सकती है। पिछले बजट में यह सुविधा समाप्त कर दी गई थी। राजीव गांधी इक्विटी बचत योजना को और आकर्षक बनाया जा सकता है।
वित्तमंत्री पी. चिदंबरम स्वयं कह चुके हैं कि बजट में राजीव गांधी इक्विटी योजना को और आकषर्क बनाया जाएगा। पिछले साल तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने इसकी घोषणा की थी।
नए निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते 10 लाख रुपए तक की सालाना कमाई वाले तबके द्वारा 50,000 रुपए तक के निवेश पर उसे 50 प्रतिशत करलाभ देने का प्रावधान किया गया। हाल ही में वित्तमंत्री ने मुंबई में योजना की शुरुआत की है।
अशोक अग्रवाल के अनुसार इस योजना को केवल नए निवेशकों के बजाए सभी छोटे निवेशकों के लिए खोला जा सकता है। उन्होंने कहा कि शेयर सौदों पर प्रतिभूति लेन-देन कर (एसटीटी) भी समाप्त होना चाहिए। इस समय एसटीटी दर 0.1 प्रतिशत है।
एसाचैम प्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष वेद जैन के अनुसार रियल्टी क्षेत्र को बढ़ावा देने और सस्ते आवास ऋण का लाभ बढ़ाने के लिए वित्तमंत्री आवास ऋण पर सालाना 3,00,000 रुपए तक के ब्याज पर कर छूट का प्रस्ताव कर सकते हैं।
उन्होंने घर से दफ्तर और दफ्तर से घर के लिए मिलने वाली 800 रुपए के भत्ते को बढ़ाकर कम से कम 2,000 रुपए और चिकित्सा खर्च की भरपाई सीमा को भी 15,000 से बढ़ाकर सालाना 50,000 रुपए तक करने का सुझाव दिया।
पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट सुनील जैन के अनुसार आयकर की धारा 80सी के तहत बीमा प्रीमियम, लोक भविष्य निधि और भविष्य निधि जमा, 5 साल की सावधि बैंक जमा, राष्ट्रीय बचत पत्र जमा तथा दो बच्चों की फीस सभी को 1 लाख रुपए के दायरे में रखा गया है। यह काफी कम है, इसे बढ़ाकर कम से डेढ़ लाख रुपए किया जाना चाहिए। बेहतर स्थितियों में यह 2 लाख रुपए होनी चाहिए। (भाषा)