नई दिल्ली। मोदी सरकार ने अपने दूसरे पूर्ण रेल बजट में सुधारों को गति देने के साथ ही यात्री सुविधाओं पर जोर देते हुए वर्ष 2016-17 के लिए 1.21 लाख करोड़ रुपए की योजना पेश की है, जो चालू वित्त वर्ष की 1 लाख करोड़ रुपए की तुलना में 21 फीसदी अधिक है।
रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने रेल बजट में किराए भाड़े में बढ़ोतरी किए बगैर रेलवे के राजस्व को बढ़ाने के अनेक उपायों की घोषणा की है, हालांकि बजट में नई ट्रेनों की घोषणा नहीं की गई है। रेलमंत्री ने कहा कि रेलवे की चालू वित्त वर्ष की योजना 1 लाख करोड़ रुपए की है जिसमें अगले वित्त वर्ष में 21 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।
रेल बजट में सकल यातायात प्राप्तियां 1,84,820 करोड़ रुपए रखी गई है। यात्री यातायात राजस्व में 12.4 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है और इससे कुल 51,012 करोड़ रुपए के राजस्व का लक्ष्य रखा गया है। माल ढुलाई का लक्ष्य 5 करोड़ टन निर्धारित किया गया है जिससे 1,17,933 करोड़ रुपए का राजस्व मिलना अनुमानित है। अन्य कोचिंग से 6,185 करोड़ रुपए मिलने और अन्य आय 9,590 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।
प्रभु ने कहा कि बजट अनुमान में साधारण संचालन व्यय के लिए 1,23,560 करोड़ रुपए का प्रस्ताव किया गया है जिसमें 3 हजार करोड़ की ऋण राशि भी शामिल है। इसकी व्यवस्था रेलवे ऋण सेवा निधि की निकासी के जरिए की जाएगी।
इस बजट में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू किए जाने के मद्देनजर 45,500 करोड़ रुपए का प्रस्ताव किया गया है। इसके लिए 3,160 करोड़ रुपए मूल्यह्रास आरक्षित निधि (डीआरएफ) से तथा 200 करोड़ उत्पादन इकाइयों से जुटाए जाएंगे। रेलवे की वार्षिक योजना में डीआरएफ से सकल व्यय 7,160 करोड़ रुपए प्रस्तावित है।
प्रभु ने कहा कि वर्ष 2015-16 का रेलवे बजट 1,83,578 करोड़ रुपए अनुमानित था जिसमें 15,744 करोड़ रुपए की कमी आई है। संशोधित अनुमान के अनुसार यात्री आय में वर्ष 2014-15 की तुलना में 16.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।
उन्होंने कहा कि किफायती एवं मितव्ययिता उपाय शुरू किए जाने से व्यय 8,720 करोड़ रुपए घटा है और यह बजट अनुमान के 1,19,410 करोड़ रुपए से घटकर 1,10,690 करोड़ रुपए पर आ गया है। (वार्ता)