बजट 2017-18 : बढ़ सकती है आयकर छूट सीमा

सोमवार, 30 जनवरी 2017 (17:56 IST)
नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली बुधवार को अपना चौथा तथा संभवत: सबसे चुनौतीपूर्ण बजट पेश करेंगे। माना जा रहा है कि नोटबंदी से हुई परेशानी को दूर करने के लिए जेटली 2017-18 के बजट में कुछ कर राहत तथा अन्य प्रोत्साहन दे सकते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिल सके।
जेटली ऐसे समय बजट पेश करने जा रहे हैं जबकि सरकार के 86 प्रतिशत मुद्रा को चलन से बाहर करने की वजह से देश में लोगों को परेशानी उठानी पड़ी है और वहीं अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप संरक्षणवादी कदम उठा रहे हैं।
 
 
सबसे पहली उम्मीद यह है कि जेटली इस बार आयकर छूट की सीमा को 2.5 लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपए करेंगे। वह फील गुड का वातावरण पैदा करने के लिए लोगों के हाथ में अधिक पैसा देना चाहेंगे। इससे मांग और आपूर्ति श्रृंखला तथा ऋण वृद्धि पर पड़े प्रतिकूल असर को कम किया जा सकेगा। साथ ही वह आवास ऋण पर दिए गए ब्याज पर कटौती की सीमा को दो लाख रुपए से बढ़ाकर ढाई लाख रुपए कर सकते हैं। साथ ही चिकित्सा के लिए भी अधिक छूट दी जा सकती है।
उद्योग विशेषज्ञों और कर अधिकारियों का कहना है कि कर छूट के अलावा बजट में सार्वभौमिक मूल आमदनी की घोषणा हो सकती है। हालांकि, कॉरपोरेट कर की दर को 30 प्रतिशत से नीचे लाना आसान नहीं होगा क्योंकि सरकार के चालू वित्त वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद की 7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर के अनुमान में नोटबंदी से पैदा हुए दिक्कतों को शामिल नहीं किया गया है।
 
चालू वित्त वर्ष के लिए राजस्व संग्रहण लक्ष्य के पार जा सकता है, लेकिन इसमें संदेह है कि जेटली 2017-18 में कर प्राप्तियों में कोई उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान लगाएंगे। इसके अलावा कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भी उनको चिंतित कर रही हैं। ऐसे में उनके पास सामाजिक और बुनियादी ढांचा योजनाओं में कुछ बड़ा करने की गुंजाइश काफी कम है।
 
पंजाब और उत्तरप्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में वित्तमंत्री बजट में किसानों और ग्रामीण भारत के अलावा महिलाओं, सामाजिक सुरक्षा क्षेत्रों मसलन स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर विशेष ध्यान देंगे। कृषि के अलावा जेटली घरेलू विनिर्माण तथा स्टार्ट अप्स को प्रोत्साहन के लिए भी योजनाओं की घोषणा करेंगे। कर विशेषज्ञों तथा अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जेटली प्रस्तावित जीएसटी प्रणाली को लागू करने की तैयारी के बीच सेवा कर की दर को बढ़ा सकते हैं जो इस समय 15 प्रतिशत है। 
 
यह देखने वाली बात होगी क्या जेटली शेयरों में निवेश की व्यवस्था में कोई बदलाव करते हैं या नहीं। फिलहाल 12 महीने से कम समय के लिए रखे जाने वाले शेयरों पर लाभ को लघु अवधि का पूंजीगत लाभ माना जाता है और इस पर 15 प्रतिशत कर लगता है। वहीं 12 महीने से अधिक अवधि को दीर्घावधि का पूंजीगत लाभ माना जाता है और इसपर कर छूट होती है। चर्चा है कि दीर्घावधिक पूंजीगत लाभ पर कर शून्य बनाए रखा जा सकता है पर निवेश को बनाए रखने की मियाद कम से कम एक वर्ष की जगह दो वर्ष की जा सकती है।
 
कर विशेषज्ञों का कहना है कि शेयरों पर पर लाभ में कर छूट को समाप्त करने से पूंजी बाजार का आकषर्ण कम हो सकता है। जेटली के बजट भाषण में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी रूपरेखा को शामिल किया जा सकता है। (भाषा)

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