आर्थिक मजबूती से तैयार हुआ सशक्त वृद्धि का आधार : प्रणब मुखर्जी

नई दिल्‍ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी के बीच भारत को व्यापक रूप से एक आकर्षक स्थान के रूप में देखा जा रहा है और वृहद आधार पर देश की आर्थिक मजबूती से इस समय एक सशक्त वृद्धि का आधार तैयार हुआ है। 
 
बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अपने परंपरागत संबोधन में राष्ट्रपति ने कर चोरी और कालेधन की समस्या से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख किया।
 
उन्होंने कहा, ऐसे समय जब वैश्विक आर्थिक वृद्धि मंद है, भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक उज्‍जवल बिंदु के रूप में स्वीकार किया गया है। 2014 से मुद्रास्फीति की दर, भुगतान संतुलन, चालू खाते का घाटा और राजकोषीय घाटा सभी में लगातार कमी आई है। 
 
राष्ट्रपति ने कहा कि देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी मुद्रा भंडार नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। वर्ष 2015-16 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 55.6 अरब डॉलर रहा है जो कि अब तक किसी भी एक वित्तीय वर्ष में सर्वाधिक रहा है। अंकटाड द्वारा जारी विश्व निवेश रिपोर्ट-2016 में भारत को सबसे अधिक संभावना वाली अर्थव्यवस्थाओं की सूची में 2016-18 के लिए तीसरा स्थान मिला है।
 
उन्होंने कहा कि सरकार ने जून 2016 में विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई नीति को और उदार बनाया है। उन्होंने कहा कि देश के वृहद आर्थिक कारक काफी मजबूत हैं, जिनके चलते देश में सतत् आर्थिक वृद्धि के लिए उपयुक्त माहौल बना है। 
 
प्रणब ने कहा कि कालेधन, भ्रष्टाचार, नकली मुद्रा और आतंकवादी गतिविधियों के वित्त पोषण की समस्या से निपटने के लिए, मेरी सरकार ने 8 नवंबर 2016 को पुराने 500 और 1,000 रुपए के नोटों को अमान्य कर चलन से हटाने का निर्णय लिया। राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी सरकार ने अपने पहली ही मंत्रिमंडल की बैठक में कालेधन की जांच के लिए  विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का फैसला किया।
 
उन्होंने कहा, कालाधन (अघोषित विदेशी आय और संपत्तियां) और आयकर अधिरोपाण कानून, बेनामी लेनदेन (प्रतिरोधक) संशोधन कानून पारित किए गए। इसके अलावा सिंगापुर, साइप्रस और मारीशस के साथ संधियों में संशोधन भी किया गया, ताकि इस तरह की संधियों में मौजूद प्रावधानों का कर चोरी, देश में कालेधन की आवाजाही के लिए दुरुपयोग को रोका जा सके। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के लिए  कराधान संशोधन विधेयक को भी पारित किया गया जिससे कालेधन के खिलाफ व्यापक स्तर पर नीतिगत समर्थन उपलब्ध हुआ है। 
 
राष्ट्रपति ने कहा कि जनधन खातों, आधार और मोबाइल (जनाधारम) की तिकड़ी के जरिए  प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी() कर सरकार ने करीब 36,000 करोड़ रुपए की बचत की है। उन्होंने कहा, वित्तीय समावेश गरीबी उन्मूलन के लिए  महत्वपूर्ण है। जिन लोगों के बैंक खाते नहीं हैं ऐसे 26 करोड़ से अधिक खाते खोले गए। ऐसे खाताधारकों को 20 करोड़ से अधिक रपे डेबिट कार्ड जारी किए गए  ताकि वह नकदीरहित भुगतान कर सकें। उन्होंने कहा कि सरकार ने ‘जनधन से जन सुरक्षा’ की दिशा में बढ़ते हुए करीब 13 करोड़ गरीबों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में लिया।
 
प्रणब ने कहा कि जनाधारम-तिकड़ी के जरिए सब्सिडी को सही हाथों में पहुंचाने के लिए  डीबीटी कार्यक्रम चलाने से इसका दुरुपयोग रका है और इससे 36,000 करोड़ रुपए बचाने में मदद मिली है। गैस-सब्सिडी सीधे बैंक खातों में उपलब्ध कराने के लिए शुरू किए गए ‘पहल’ कार्यक्रम से पिछले दो साल के दौरान 21,000 करोड़ रुपए की बचत हुई है। (भाषा) 

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