राजनीतिक दबाव से परेशान होकर होलकर साइंस कॉलेज अपनी स्वायत्तता छोड़ना चाहता है। कॉलेज की स्टाफ काउंसिल ने मंगलवार को स्वायत्तता का दर्जा लौटाने का निर्णय ले लिया। मंगलवार दोपहर काउंसिल की बैठक में 87 सदस्यों ने इस निर्णय पर मुहर लगाई। स्वायत्तता खत्म करने का प्रस्ताव शासन को भी भेज दिया गया है।
सोमवार को होलकर साइंस कॉलेज के छात्र दीपक जायसवाल ने आत्महत्या कर ली थी। बीएससी थर्ड सेमेस्टर का छात्र दीपक परीक्षा में फेल हो गया था। सुबह से ही छात्र नेताओं ने इस मामले को मुद्दा बनाकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद कॉलेज प्राचार्य डॉ.एसएल गर्ग ने स्टाफ काउंसिल की बैठक बुलाई।
बैठक में शिक्षकों ने कहा कि छात्र नेताओं की मांग पर बिना पढ़े किसी को भी पास नहीं किया जा सकता। स्टाफ काउंसिल के अनुसार बीते दिनों से सभी दल बार-बार अपने गुट के छात्रों को पास करवाने के लिए दबाव बनाते रहे हैं। ऐसी स्थिति में कॉलेज पढ़ाई का स्तर बरकरार नहीं रख सकता।
होगा छात्रों का नुकसान होलकर साइंस कॉलेज की स्टाफ काउंसिल के चाहने पर स्वायत्तता खत्म होना तय माना जा रहा है। इस फैसले से विद्यार्थियों को खासा नुकसान होगा। कॉलेज की साख को भी धक्का पहुंचेगा। कॉलेज को मिली अकादमिक स्वायत्तता के चलते वह अपना पाठ्यक्रम निर्धारित कर पाता है। परीक्षा कार्यक्रम भी तय करता है। मूल्यांकन व रिजल्ट घोषित करने की जिम्मेदारी भी कॉलेज खुद ही उठाता है।
स्वायत्त होने के चलते ही होलकर कॉलेज कई वर्षों पहले सेमेस्टर प्रणाली लागू कर चुका है। साथ ही विवि के विपरीत वह सेमेस्टर को सुचारू तरीके से चला भी रहा है। शोध के मामले में भी कॉलेज का स्तर काफी अच्छा है। स्वायत्तता खत्म होने से कॉलेज के छात्र विवि पर निर्भर हो जाएंगे। उन्हें भी विवि के बिगड़े सिस्टम से जूझना पड़ेगा।