इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बढ़ रही दीवानगी, पीछे छूट जाएंगे डीजल-पेट्रोल मॉडल्स, रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

Webdunia
मंगलवार, 6 दिसंबर 2022 (17:57 IST)
सरकार द्वारा दिए जा रहे प्रोत्साहन के साथ ही लोगों में पर्यावरण अनुकूल होने के साथ ही आर्थिक तौर पर भी लाभदायक होने के बल पर भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य उज्जवल प्रतीत हो रहा है क्योंकि वर्ष 2030 तक इन वाहनों के डीजल और पेट्रोल चालित वाहनों को पीछे छोड़ देने का अनुमान है।
 
भारत की टेक-फर्स्ट इंश्योरेंस कंपनी एको और यूगॉव इंडिया द्वारा लॉन्च की गई एक रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है। रिपोर्ट के अनुसार अधिकांश भारतीय ग्राहक - 57 प्रतिशत - इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) में निवेश करना चाहते हैं, क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहन अनेक व्यवहारिक फायदे प्रदान करते हैं, जबकि 56 प्रतिशत लोग इलेक्ट्रिक वाहन इसलिए खरीदना चाहते हैं क्योंकि वे पर्यावरण के लिए अच्छे होते हैं।
ALSO READ: 4 नन्हे वैज्ञानिकों ने बनाई दुनिया की सबसे सस्ती और अनोखी स्वदेशी इलेक्ट्रिक कार, धूल-धुएं को भी करेगी फिल्टर
इस रिपोर्ट में न्यू कंज्यूमर क्लासिफिकेशन सिस्टम (एनसीसीएस) ए एवं बी परिवारों के 28 से 40 साल की आयु समूह के 1018 उत्तरदाताओं के बीच सर्वेक्षण किया गया, जो या तो इलेक्ट्रिक वाहन के मालिक हैं या अगले 12 महीनों में इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना चाहते हैं। 
 
उपभोक्ताओं का मानना है कि भविष्य इलेक्ट्रिक है जहां अधिकांश उत्तरदाता - 60 प्रतिशत - का मानना है कि भारत में मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर इलेक्ट्रिक वाहनों को सपोर्ट करने के लिए पर्याप्त नहीं है और इसमें भारी सुधार किए जाने की जरूरत है लेकिन भविष्य को लेकर आशावादिता बहुत ज्यादा है।
 
सर्वेक्षण में शामिल 89 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि भारत में साल 2030 तक इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार हो जाएगा। 66 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहन पेट्रोल और डीज़ल कारों को पीछे छोड़ देंगे और लंबे समय में पैसे की बचत भी करेंगे। इलेक्ट्रिक वाहन ही क्यों के जबाव में 44 प्रतिशत उत्तरदाता इलेक्ट्रिक वाहन में इसलिए निवेश करना चाहते हैं क्योंकि वे इसके द्वारा मिलने वाला लचीलापन पसंद करते हैं। 
 
इसके अलावा उनका यकीन है कि हाईब्रिड या पूर्ण इलेक्ट्रिक विकल्पों की उपलब्धता से उन्हें दोनों प्रकारों का सर्वश्रेष्ठ अनुभव मिल सकेगा। 47 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है इलेक्ट्रिक वाहनों द्वारा पारंपरिक विकल्पों के मुकाबले प्रति किलोमीटर लागत में काफी कमी आती है। 56 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे पर्यावरण की ओर हो रहे जिम्मेदार परिवर्तन का हिस्सा बनना चाहते हैं और नई टेक्नॉलॉजी में दिलचस्पी रखते हैं।
 
सबसे दिलचस्प बात यह है कि जब इलेक्ट्रिक वाहन के मालिकों की बात आती है तो पर्यावरण के लिए अच्छा करने की जरूरत उन व्यवहारिकताओं पर हावी हो जाती है, जिन्हें वे प्राथमिकता देते हैं। उदाहरण के लिए 63 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों ने बताया कि इलेक्ट्रिक वाहन चुनना उनके कार्बन फुटप्रिंट कम करने के उनके प्रयासों का हिस्सा है। 
 
उत्तरदाताओं में 62 प्रतिशत लोगों को ईंधन के बढ़ते मूल्य की चिंता है और उनमें से 57 प्रतिशत लेटेस्ट टेक्नॉलॉजी में रुचि रखते हैं। 51 प्रतिशत ने बताया कि इलेक्ट्रिक वाहन के परिचालन की लागत पेट्रोल और डीज़ल कारों के मुकाबले कम है। 48 प्रतिशत मालिकों ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन पारंपरिक कारों के मुकाबले प्रति किलोमीटर ज्यादा किफायती रहते हैं।
 
एको के वरिष्ठ निदेशक, मोटर अंडरराईटिंग, अनिमेष दास ने कहा कि भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कार बाजार है। उपभोक्ताओं का प्राथमिक विकल्प बनने की इलेक्ट्रिक वाहनों की दौड़ में हम इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उनके दृष्टिकोण को समझना चाहते थे। 
 
हमने यूगॉव इंडिया के साथ काम किया और उन उत्तरदाताओं से बात की,जो या तो इलेक्ट्रिक वाहन के मालिक थे या अगले साल इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना चाहते थे। इस अध्ययन का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहन के बारे में उपभोक्ताओं के विचारों को समझना था।
 
परिणामस्वरूप हम भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की मुख्य समस्याओं और बाधाओं, इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं तक पहुँचाने के लिए उत्तरदाताओं की चिंताओं, और इलेक्ट्रिक वाहन के लिए विशेष बीमा पॉलिसी की जरूरत और इलेक्ट्रिक वाहन से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं को समझ सके।

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख