घुंघरूओं की झंकार, संगीत की लय और तबले की थाप पर थिरकते पैर। शास्त्रीय नृत्य के प्रेमियों और जानकारों के लिए इसकी कल्पनामात्र ही प्राणवायु की तरह होती है। इस कला के शौकिन अपने शौक को ही अपने कॅरिअर के रूप में चुन सकते हैं। नृत्य और संगीत के प्रति लोगों का नजरिया पिछले एक दशक में बहुत बदल गया है। शास्त्रीय नृत्य को देश-विदेश में ख्याति मिल रही है, इसलिए क्षेत्र में रोजगार और आय के नित नए अवसर भी पनप रहे हैं।
मीडिया और टेलीविजन के क्षेत्र में इन कलाओं के विशेषज्ञों की बहुत माँग है। कला के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए लगन, परिश्रम और धैर्य के साथ-साथ विधिवत प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। पूर्व में इन कलाओं का प्रशिक्षण घराना परंपरा से दिया जाता था, जिस में शिष्य की पहचान अपने गुरू के घराने के नाम से होती थी। यह परंपरा आज भी जीवित है इसके साथ ही अब देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में शास्त्रीय नृत्य और संगीत के विविध पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं।
यहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद स्वतंत्र कलाकार, नृत्य निर्देशक, कला निर्देशक, नृत्य प्रशिक्षक के रूप में अपना कॅरिअर सँवारा जा सकता है। कुछ लोग इन सभी को साथ लेकर चलते है, वे अपने शार्गिदों को प्रशिक्षण भी देते है, कलाकार के रूप में प्रस्तुतियां भी देते है और नृत्य निर्देशक के रूप में विभिन्न कला माध्यमों को अपनी सेवाएँ भी प्रदान करते है।
कई लोग चाहते हुए भी इस क्षेत्र में अपना कॅरिअर इसलिए नहीं बना पाते है क्योकि उन्हें लगता है कि यदि वे नामचीन कलाकार नहीं बना सकें तो कॅरिअर खराब हो जाएगा। स्टेज शो ना करने की स्थिती में अपनी स्वयं की डांस क्लास खोली जा सकती है। आजकल लोग अपने शौक को पूरा करने के साथ-साथ व्यायाम करने के उददेश्य से भी नृत्य का प्रशिक्षण लेते है। जिससे इन कक्षाओं के संचालकों को अच्छी कमाई होती हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब आप अपनी रूचि के क्षेत्र में काम करते है तो काम कभी बोझ नहीं लगता है।
संस्थान
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, मध्यप्रदेश बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल नृत्य तरंगिनी, नई दिल्ली शिवाजी यूनिवर्सिटी, कोल्हापुर नागपुर यूनिवर्सिटी, महाराष्ट्र सरदार पटेल यूनिवर्सिटी, महाराष्ट्र