सदियों से जारी चोरी, हत्या, डकैती, अपहरण और लूटपाट जैसे अपराधों की दुनिया में साइबर क्राइम ने एक नए अवतार के रूप में प्रवेश किया और देखते ही देखते इंटरनेटसाइटकी हैकिंग, क्रेडिटकार्डों से लेनदेन में हेराफेरी, साइबरवायरस से सिस्टम में छेड़छाड़ के प्रकरणों की बाढ़-सी आ गई। कुछ समय पहले तक कानून के प्रावधानों में ऐसे अपराधों का न तो कहीं वर्णन था औरन ही इससे निपटने के तरीके कहीं खोजे मिलते थे। परंतु जब सूचना प्रौद्योगिकी संसार और साइबरजगत में अपराधों के प्रकरण बढ़ने लगे तो अंतरराष्ट्रीय सहयोग से साइबरलॉ बनाए गए।
जब साइबर लॉ बन गए तो इन्हें जानने वालों तथा इनका उपयोग कर साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने वाले कानूनविदों की जरूरत महसूस की जाने लगी। साइबर अपराध के अवतरण के साथ ही साइबर लॉयर (वकील) ने भी कानूनी जगत में अवतार लिया और साइबरअपराध और साइबर लॉयर के टकराव ने करियर निर्माण के एक अनूठे और संभावनाओं से भरपूर अवसर को पैदा किया।
गौरतलब है कि भारत एशिया का दूसरा ऐसा देश है जिसका अपना अलग इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों तथा डिजिटल सिक्नेचर को विधिक मान्यता प्रदान की गई है। इस कानून में हैकिंग, क्रेडिटकार्ड फ्रॉड, साइबर स्टॉकिंग, श्लेक मैलिंग, कंप्यूटर सोर्स कोड के प्रसारण, नश्नता तथा बौद्धिक संपदा, कॉपीराइटर तथा ट्रेडमार्क से जुड़े अपराध के खिलाफ प्रावधान बनाए गए हैं।
वर्तमान में इंटरनेट पर होने वाले सभी अपराधों के मामले साइबर लॉ के मान्यम से ही निपटाए जा रहे हैं। वास्तव में साइबर लॉ एक तरह का विनियमन है जो कॉपीराइट, बौद्धिक संपदा, अनुबंध आदि को अधिशासित करता है। इन विनियमों पर किसी एक देश का अधिकार नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी जगत में यह विस्तारित है।
यदि आपकी सूचना प्रौद्योगिकी में अच्छी पकड़ है और लीगल करियरबनाने में दिलचस्पी है तो साइबर लॉ आपके लिए संभावाओं से भरपूर क्षेत्र है। साइबर लॉयर बनकर आप साइबरलॉ के क्षेत्र में अपना करियर बनाकर साइबर क्राइम विशेषण के रूप में ख्याति प्राप्त कर सकते हैं। मूलतः साइबर लॉयर वह शक्स होता है, जो हैकिंग, क्रेडिटकार्ड जालसाजी, ई-कॉमर्स तथा इंटरनेट पर ई-बिजनेस से रक्षोपाय के लिए डिजिटल हस्ताक्षर के संरक्षण, इनक्रिन्शन कोड या इलेक्ट्रॉनिक कोड आदि से जुड़े अपराधों से निपटता है।
बौद्धिक संपदा कानून अथवा कॉपीराइट्स, सॉफ्टवेयर पेटेशट्स, नेटबैंकिंग जैसे प्रकरण भी साइबरलॉ की मदद से निपटाए जाते हैं। इसके लिए आपको विधि विषय में स्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद साइबर लॉ में डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त करना होगा। अब हमारे यहाँ कई लॉ स्कूलों और विश्वविद्यालयों में स्नातकोतर स्तर पर बकायदा साइबर लॉ की पढ़ाई होने लगी है।
साइबर लॉ में कोर्स करने के उपरांत आप स्वतंत्र रूप से बतौर कंसल्टेंट अपना करियर आरंभ कर सकते हैं। अथवा साइबर क्राइम से जुड़े प्रकरणों में वकीलों की सहायता करने के लिए किसी लीगल कंसल्टिंग तथा आरबिट्रेशन फर्म में असिस्टेंट या जूनियर प्रेष्टिशनर की भूमिका अदा कर सकते हैं। आजकल बड़ी-बड़ी कंपनियों में साइबर क्राइम से जुड़े मामलों को देखने के लिए अपने लीगल डिपार्टमेंटों में साइबर लॉयर रखे जाते हैं, उनसे जुड़कर आप कार्पोरेट सेक्टर में भी करियर बना सकते हैं।
साइबर लॉयर तथा साइबर कंसल्टेंट्स सरकारी विभागों में खासकर सूचना एवं प्रसारण, सूचना प्रौद्योगिकी तथा विणान एवं तकनीकी मंत्रालयों में सलाहकार के रूप में करियर बना सकते हैं। उन्हें टेक्नोलॉजी फर्मों में बतौर सिक्योरिटी ऑडिटर तथा ऑडिटर तथा नेटवर्क एडमिनिस्टे्रटर का काम भी मिल जाता है। आप चाहें तो इस क्षेत्र में आगे रिसर्च को अपना सकते हैं या शिक्षण कर सकते हैं। साइबर अपराधों के साथ-साथ साइबर लॉयर की माँग भी खासी बढ़ रही है।
साइबर लॉ का कोर्स कराने वाले देश के प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं-
नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु।
द इंडियन लॉ इंस्टिट्यूट, दिल्ली यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली।
साइबर लॉ कॉलेज चेन्नई/मैसूर/हुबली/मंगलोर तथा बेंगलुरु।