इनोवेशन: कॉलेज स्टूडेंट्स ने किया हवा से पानी बनाने का startup शुरू
Water from Air India
गर्मी का मौसम आते ही भारत में पानी की कीमत सोने के समान हो जाती है। विश्व की पॉपुलेशन में से 18% पॉपुलेशन सिर्फ भारत में है पर भारत में पानी के लिए सिर्फ 4% रिसोर्स मौजूद हैं। नीति आयोग की एक स्टडी के अनुसार भारत में बड़ी संख्या में लोग पानी की समस्या से परेशान हैं। आज भी भारत में पानी के लिए लोग बारिश पर निर्भर हैं। भारत के शहर और गांव में डोमेस्टिक वॉटर सप्लाई के लिए अंडरग्राउंड वॉटर (underground water) ही सबसे बड़ा साधन है।
इस गंभीर समस्या को समझते हुए NIT के छात्रों ने हवा से पानी बनाने वाली टेक्नोलॉजी का निर्माण किया है। इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से 1 लीटर पानी 5 रुपए में मौजूद होगा और इस टेक्नोलॉजी में सोलर एनर्जी का प्रयोग किया गया है। इस टेक्नोलॉजी की स्टडी स्वप्निल श्रीवास्तव और वेंकटेश आर ने की।
इस इनोवेशन की शुरुआत कैसे हुई?
इन छात्रों ने ग्रेजुएशन के बाद 2016 में 'हवा से पानी' बनाने वाले कांसेप्ट की स्टडी करना शुरू किया। 2018 में electricity-based atmospheric water generator (AWG) की मदद से उन्होंने इस इनोवेशन पर काम करना शुरू किया। 2019 में स्वप्निल और वेंकटेश के साथ प्रदीप गर्ग और गोविंदा बालाजी भी जुड़ गए। इसके बाद एक कंपनी द्वारा इनके इनोवेशन को 50,000 डॉलर का फंड मिला और एक साल बाद उन्होंने इस टेक्नोलॉजी को विकसित कर लिया।
कैसे करती है ये टेक्नोलॉजी काम?
इन छात्रों ने अपनी इनोवेशन को Uravu AWG नाम दिया है। ये एक थर्मल सिस्टम है जिसमें absorption और desorption प्रोसेस के ज़रिए एम्बिएंट एयर (पर्यावरण वायु) को पानी में बदला जाता है। इस पानी की कीमत 5 रुपए प्रति लीटर है।
सोखने (absorption) की प्रोसेस के दौरान हवा को सिलिका जेल से बने एक desiccant core (एक तरह का वर्तन) के ऊपर से गुजारा जाता है, जिसमें पानी की भाप के लिए बहुत अधिक प्रेशर होता है। तो 10 किलो सिलिका जेल का उपयोग करके एक स्टैंडर्ड desiccant के साथ तीन घंटे में 2 लीटर पानी का absorption किया जा सकता है। disorption प्रोसेस भी तीन घंटे तक चलती है जिसमें भाप को वापस छोड़ने के लिए सोलर एनर्जी का उपयोग किया जाता है। फिर नमी को पूरी तरह से renewal water में संघनित किया जा सकता है।
इस इनोवेशन के तहत वर्ल्ड बैंक और मिनिस्ट्री ऑफ़ जल शक्ति द्वारा भारत के ग्रामीण एरिया में पानी की कमी को पूरा किया जा सकता है। साथ ही ग्रामीण शहर के हिसाब से इस पानी की कीमत भी काफी किफायती है।