बायोइंफॉर्मैटिक्स : असीम संभावनाएँ

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बायोइंफॉर्मैटिक्स ने जैविकी के क्षेत्र में शोध करने के तरीके को ही बदल दिया है। इस असीम संभावनाओं वाले क्षेत्र ने गत दस वर्षों में काफी प्रगति कर ली है। अब किसी भी शोध को विश्वभर में आरंभ करने से पहले कम्प्यूटर पर उपलब्ध डाटाबेस से तुलना की जाती है।

दरअसल बायोइंफॉर्मैटिक्स या जैव सूचना विज्ञान, जीव विज्ञान का एक नया क्षेत्र है, जिसके अंतर्गत जैव सूचना प्राप्त करना उनका रेकार्ड रखना और विश्लेषण, व्याख्या करना आदि कार्य आते हैं। इस कार्य में जीव विज्ञान सूचना तकनीक तथा गणित की तकनीकें उपयोग में लाई जातीं हैं।

इसके माध्यम से खासतौर पर किसी पौधे के जीन्स में किस प्रकार के परिवर्तन करना, जानलेवा बीमारी के लिए उत्तरदायी जीन्स समूह का पता करना, औषधि निर्माण में सहायता आदि में किया जाता है।

इसके माध्यम से होती है शोध
जैव सूचना विज्ञान इस विषय की स्थापना के बारे में पाउलिन होगेवेग ने 1979 को विचार किया और दुनिया के सामने बायोइंफॉर्मैटिक्स यह विषय लाए। वर्तमान में कम्प्यूटर की पैटर्न रिक्गनेशन, डाटा मायनिंग, मशीन लर्निंग अलगोरिद्मस व विज्वलाइजेशन से संबंधित एप्लिकेशंस का प्रयोग किया जा रहा है।

इसके माध्यम से सिक्वेंस अलाइनमेंट, जीन खोजना, जिनोम असेम्बली, ड्रग डिजाइन, ड्रग डिस्कवरी, प्रोटीन स्ट्रक्चर अलाइनमेंट, प्रोटीन स्ट्रक्चर प्रिडिक्शन आदि क्षेत्रों में इसका प्रयोग किया जा रहा है।

योरप व अमेरिका में जबरदस्त माँग
बायोइंफॉर्मैटिक्स के क्षेत्र में करियर बनाने वाले स्टूडेंट्स के लिए भारत सहित योरप व अमेरिका में जबर्दस्त माँग है। खासतौर पर शोध के क्षेत्र में काफी माँग है। अमेरिका में पोस्ट डॉक्टरेल शोध के लिए काफी माँग है। इस क्षेत्र की सबसे बड़ी खासियत ही यह है कि इसमें शोध करने वालों के लिए जबर्दस्त संभावनाएँ हैं व कम्प्यूटर से संबंधित स्टूडेंट भी इसमें करियर बना सकते हैं और साथ में सेलरी भी काफी अच्छी होती है।

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