रीटेलिंग में करि‍यर

- अशोक सिंह

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शायद यह जानकर आश्चर्य हो कि विश्व रिटेल उद्योग में भारत का स्थान पाँचवें पायदान पर आ गया है और मात्र चंद पश्चिमी देश ही इससे ऊपर हैं। इतना ही नहीं अन्य उद्योग-धंधों की तुलना में इसकी बृद्धि दर (20-30 प्रतिशत) अप्रत्याशित रूप से तेज करी जा सकती है। इसी का नतीजा है कि वर्ष 2004-05 में जहाँ यह लगभग 35 हजार करोड़ की इंडस्ट्री थी अब बढ़कर 1,09 हजार करोड़ के आँकड़े से आगे निकल गई है। इतना ही नहीं देश के सफल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में इसका योगदान 8-1 प्रतिशत हो चुका है।

अगर रिटेलिंग उद्योग का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि मात्र चंद वर्षों पहले तक यह खुदरा दुकानदारों एवं व्यापारियों के हाथ ही असंगठित उद्योग के रूप में था। लेकिन विशेषज्ञों की राय में बिग बाजार, स्पेंसर, टाटा (ट्रेंट्स), रिलायंस, ए.वी बिरला ग्रुप के बड़े पैमाने पर इस क्षेत्र में आने से संगठित रिटेलिंग का तेजी से विकास हुआ है। आने वाले समय में यह 22 प्रतिशत तक होने की उम्मीद है।

एक मोटे अनुमान के अनुसार आगामी वर्षों में लगभग 13 मिलियन कर्मियों को रोजगार सिर्फ इसी क्षेत्र के माध्यम से मिलेगा। ये रोजगार वर्तमान में कार्यरत लाखों खुदरा विक्रेताओं के अलावा संगठित क्षेत्र में पनपने वाले डिपारिमेटल स्टोर्स, कंवीनिएंट स्टोर्स, शॉपिंग माल्स, ई-रिटेलर्स, डिस्काउंट स्टोर्स, वेंडिंग मशीनों, स्पेशियलिस्ट स्टोर्स आदि में इस प्रकार के ट्रेंड युवाओं की जरूरत आने वाले समय में अत्यंत तेजी से बढ़ने की संभावना है।

रिटेलिंग क्षेत्र के व्यवसाय सिर्फ मार्केटिंग और सेल्स पर ही आधारित नहीं हैं बल्कि फाइनेंस आईटी, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट, हयूमन रिसोर्स मैनेजमेंट, पब्लिक रिलेशंस, कस्टमर एग्जीक्यूटिव क्वालिटी कंट्रोल एक्सपर्टस स्टोर मैनेजर ई-कॉमर्स एक्सपर्टस, लॉजिस्टिक्स में ट्रेंडड युवाओं की भी इसमें बड़े पैमाने पर जरूरत पड़ती है।

रिटेलिंग के क्षेत्र में बेहतरीन करिअर निर्माण की चाहत रखने वाले युवाओं के लिए मेहनती और लगनशील होने के अलावा मृदुभाषी, टीम वर्क में विश्वास रखने वाला, नेतृत्व के गुण, समय प्रबंधन में दक्ष, विविध कस्टमर्स के साथ मित्रतापूर्ण व्यवहार विपरीत स्थितियों में भी बनाए रखने की योग्यता सरीखे गुणों का होना सर्वाधिक आवश्यक पहल कहे जा सकते हैं।

अमूमन रिटेलिंग के कोर्स में मार्केटिंग रिसर्च, रिटेल सेलिंग, इलेक्ट्रॉनिक रिटेलिंग, मर्केडाइजिंग मार्केटिंग, रिटेल पचेजिंग, रिटेल प्राइजिंग, रिटेल आर्गनाइजेशन, रिटेल मैनेजमेंट, कंउयूमर बिहेवियर, मैजेममेंट इंफार्मेशन सिस्टम, सप्लाई-चेन मैजेजमेंट सिस्टम आदि से संबंधित सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक ट्रेनिंग दी जाती है।

दिलचस्प बात यह भी है कि इस प्रकार की ट्रेनिंग की बदौलत अन्य उद्योगों एवं क्षेत्रों में भी युवाओं के लिए रोजगार के अवसर हमेशा उपलब्ध होते हैं।

देश में रिटेलिंग क्रांति का दौर मेट्रोसिटी से शुरू होकर छोटे शहरों और कस्बों तक में तेजी से फैल रहा है। संभावना बताई जा रही है कि वर्ष 2013 तक इस क्षेत्र के 60 प्रतिशत से अधिक रोजगार अवसर ग्रामीण क्षेत्रों में होंगे। इससे स्थानीय युवाओं के अतिरिक्त बहुभाषी युवाओं के लिए भविष्य निर्माण के पर्याप्त अवसर संभव हो सकेंगे।

देश भर में वर्तमान में 250 से अधिक मॉल और 1500 से ज्यादा रिटेलिंग आउटरलेंस हैं जो आगामी वर्षों में कई गुना ज्यादा बढ़ जाएँगे इसमें कतई संदेह नहीं किया जा सकता है। इसका नतीजा अधिकाधिक रोजगार अवसरों के रूप में सहज देखा जा सकता है।

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