शिक्षा में भारत नई महाशक्ति

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दुनिया में युवाओं का देश कहलाने वाला भारत अब शिक्षा के क्षेत्र में भी सिरमोर बनने जा रहा है। आने वाला समय शिक्षा के क्षेत्र में भारत की नई तस्वीर सामने लेकर आएगा। दुनिया भी शिक्षा में भारत का लोहा मानेगी।

शिक्षा में सुपर शक्ति समझने वाले देश अमेरिका को भारत और चीन पीछे छोड़ देंगे। भारत में अमेरिका से ज्यादा ग्रेजुएट्‍स होंगे। यह निष्कर्ष ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकॉनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलमेंट (ओईसीडी) नाम की संस्था के अध्ययन में सामने आया है।

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2020 तक दुनिया के हर 10 ग्रेजुएट्‍स में से चार चीन और भारत से होंगे। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के मुताबिक 2020 में 25 से 34 साल की उम्र के 20 करोड़ विश्वविद्यालय स्नातकों में से 40 प्रतिशत स्नातक इन्हीं दोनों देशों से होंगे।

इन नए आंकड़ों को दुनिया में ग्रेजुएट्स की कुल संख्या में बदलाव के तौर पर देखा जा सकता है। एशिया की तेजी से मजबूत होती अर्थव्यवस्था इस क्षेत्र में पश्चिमी यूरोप के देशों और अमेरिका को पछाड़ देगी।

ओईसीडी के अनुसार 2020 तक चीन में ग्रेजुएट्‍स की संख्या में 29 फीसद तक बढ़ोतरी हो सकती है और चीन पहले नंबर पर होगा। भारत 12 प्रतिशत के साथ दूसरे व अमेरिका तीसरे पायदान पर होगा।

अमेरिका में ग्रेजुएट की संख्या में 11 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान ओईसीडी की रिपोर्ट में लगाया गया है। जिन देशों में ग्रेजुएट्‍स युवाओं के बढ़ने का अनुमान है, उनमें इंडोनेशिया के पांचवें स्थान पर रहने की संभावना जताई गई है।

शिक्षा के प्रति बढ़ती जागरूकता और बनते माहौल से विकासशील देशों में ग्रेजुएट्‍स की संख्या बढ़ रही है। इन आंकड़ों से यह प्रश्न उठता है कि क्या उच्च शिक्षा में ‍पश्चिमी देशों के साम्राज्य का अंत हो रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका, पश्चिमी यूरोप, जापान और रूस के विश्वविद्यालयों का ही शिक्षा में बोलबाला था।

अमेरिका तो एजुकेशन में सुपरपॉवर रहा है। वर्ष 2000 तक जापान जैसा छोटा-सा देश ग्रेजुएट्‍स की संख्या में भारत के बराबर था। अमेरिका और चीन में ग्रेजुएट्‍स की संख्या बराबर थी। ओईसीडी के आंकड़ों को अगर देखा जाए तो दुनिया के औद्योगीकृत देशों में ग्रेजुएट्‍स की संख्या बढ़ी है।

इन आंकड़ों से यह तो एक अच्छी बात है कि शिक्षा के क्षेत्र में भारत आगे बढ़ेगा पर इन ग्रेजुएट्‍स में कितनों को रोजगार मिलेगा। रोजगार पर इस बढ़ोतरी का क्या असर पड़ेगा। एक अनुमान के मुताबिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के ग्रेजुएट्‍स की रोजगार संभावनाएं बढ़ेगी।

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